_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 017 📕*_
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💫 *_[ लडकी की राज़ामन्दी ]_* 💫
📚 *_[ हदीस :- ] इमाम बुख़ारी [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] नक़्ल फरमाते है। के हज़रत आइशा [रदिअल्लाहु तआला अन्हा]ने अ़र्ज़ किया की "या रसूलुल्लाह"! ﷺ कुंवारी लड़की तो निकाह की इज़ाज़त देने में शर्माती है ? इरशाद फरमाया "उसका खामोश हो जाना ही इज़ाज़त है"।_*
_📕 *बुखारी शरीफ, बाब नं 71, हदीस नं 124, जिल्द 3 सफा 76*_
✍🏻 *_[मसअ़ला :-]..... अगर औरत कुंवारी है तो साफ़-साफ़ रजामंदी के अल्फ़ाज़ कहे या कोई ऐसी हरकत करे जिससे राज़ी होना साफ़ मअ़लूम हो जाए। मसलन मुस्कुरा दे, या हंस दे, या फिर इशारे से जा़हिर करेे!_*
_📕 *कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 54*_
*👉🏻 _और अगर इंकार हो तो इस तरह से साफ़-साफ़ कहे "मुझे उस की ज़रूरत नहीं या फिर कहे वह मेरे लिए बेहतर नहीं" वगै़रह वगै़रह जिस तरह भी मुनासिब तौर से ज़ाहिर कर सकती हो उस तरह से जा़हिर कर दे। फिर मां बाप पर भी जरुरी है ज़्यादा दबाव ना डालें या ज़बरदस्ती ना करें बेजा दबाव डालना, या जबरदस्ती करना जाइज़ नही_*
📚 *_[ हदीस :- ] हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है। की रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया....._*
💎 *_"बालीग कुंवारी लड़की से उसके निकाह की इज़ाज़त ली जाए! अगर वह खा़मोश हो जाए तो यह उसकी तरफ से इज़ाज़त है। और अगर इंकार करे तो उस पर कोई ज़बरदस्ती नही"_*
_📕 *तिर्मिज़ी शरीफ, हदीस नं 1101, जिल्द 1, सफा नं 567*_
✍🏻 *_[ मसअ़ला :-] बालेगा व आक़ेला औरत का निकाह बगैर उसकी इज़ाज़त के कोई नही कर सकता न उसका बाप, न इस्लामी हुकूमत का बादशाह, औरत कुंवारी हो या बेवाह, । इसी तरह बालीग व आकील [पागल वगैरह न हो] मर्द का निकाह बगै़र उसकी मर्ज़ी के कोई नही कर सकता ।_*
_📕 *कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2 सफा 54*_
✍🏻 *_[ मसअ़ला :-] कुंवारी लड़की का निकाह या लड़के का निकाह उनकी इज़ाज़त के बगै़र कर दिया गया । और उन्हें निकाह की ख़बर दी गई तो अगर औरत चुप रही, या हँसी, या बगै़र आवाज के रोई तो निकाह मन्ज़ूर है समझा जाएगा। इसी तरह मर्द ने इंकार न किया तो निकाह मन्ज़ूर समझा जाएगा। लेकिन मर्द या औरत मे से किसी एक ने इंकार कर दिया या मर्द ने इन्कार कर दिया तो निकाह टूट गया।_*
_📕 *फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द 5, सफा 104, कानूने शरीअ़त, जिल्द 2, सफा 54*_
*👉🏻 _यह तमाम शरई मसाइल है जिनका जानना और उन पर अ़मल करना ज़रूरी है। जिसमें माँ, बाप, की भी जिम्मेदारी है की अपनी औलाद की खुशी का ख्याल रखे, और औलाद का भी फ़र्ज़ है कि वह माँ, बाप, और घर के दीगर बुज़ुर्गो का कहा माने और वह जहां शादी करना चाहे उनकी रज़ामंदी में ही अपनी रज़ा समझे कि माँ, बाप, कभी भी अपनी औलाद का बुरा नही चाहते ।_*
📚 *_[ हदीस :-] हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है। कि (रसूलुल्लाह ﷺ) ने इरशाद फरमाया....._*
💎 *_"कोई औरत दूसरी का निकाह न करे, और न कोई औरत अपना निकाह खुद करे क्यों कि जानीया (ज़िना करने वाली) वही है जो अपना निकाह खुद करती है।_*
_📕 *इब्ने माज़ा, जिल्द नं 1, बाब नं 603,हदीस नं 1950, सफा नं 528, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 3002, सफा नं 78*_
✍🏻 *_[ मसअ़ला :-].... बालिग़ लड़की वली [माँ, बाप वगैरह] की इज़ाज़त के बगै़र खुद अपना निकाह छुप कर या एलानिया किया तो उसके जाइज़ होने के लिए यह शर्त है। शौहर उस का क़ुफ्व हो, यानी मज़हब या खानदान, या पेशे, या माल, या चाल चलन में औरत से ऐसा कम न हो कि उसके साथ उसका निकाह होना लड़की के माँ, बाप, व खानदान वालो और दिगर रिश्तेदारों के लिए बे इज़्ज़ती, या शर्मिन्दगी, व बदनामी का सबब हो, अगर ऐसा है तो वह निकाह न होगा।_*
📕 *_फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 5, सफा नं 142_*
_💫 *मसअला शादी की तारीख तय करते वक्त दुल्हन के अय्याम हैज (महावारी पिरीयड) से बचने के लिये उसकी रजा ले ली जाए! यह उन इलाको मे निहायत जरुरी है जहॉ निकाह के बाद उसी दिन या एक दिन बाद रुख्सती (बिदाई) होती है!*_
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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