Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 022 📕*_
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                         *_चंद बहाने_*

*👉 _बहरहाल मुसलमानो का तिसरा बहाना यह होता है की बहुत से आलीमो के यहॉ भी तो यह रस्मे होती है! इससे कतई इंकार नही की ऐसे निम मुल्ला चंद रुपयो की खातीर शरीअत के मसाईल को भी मजाक बना देते है! और अपनी झुठी मौलवियत का रुबाब झाडने के  लिये उट-पटांग मस्अले बयान करते है! और अपनी नफ्सानी ख्वाहिशात को गलत तावीलो से सही साबीत करने की कोशीश करते है! या फिर बेचारे सेठ साहब के एहसानों तले दबे है, इसलिये सेठ साहब के लडके की शादी मे जुबान नही खुलती, लेकीन ए अजीजो याद रखीये (इस्लाम की बुनियाद ऐसे गुमराह मौलीयो पर नही है!) के हम उनके कामो को दलील बनाए!_*

        *👉 _हर मुसलमान के लिये कुरआन व अहादीस, आइम्मा ए दीन, बुजुर्गाने दीन और उलमा ए मोतमदीन के अक्वाल ही काफी है! हमे किसी भी काम के नाजाइज व हराम होने का सुबुत कुरआन व अहादीस मे और मोतमद उलमा ए दीन व बुजुर्गो के अक्वाल मे देखना चाहीये, न की उन नफ्स परवर अमीरो के चापलुस मौलवियो के कामो से! यह भी याद रखीये बरोज महशर आपके कामो की पुछ आप से होंगी , आप यह कहकर नही बच जाएंगे की फलां मौलवी साहब ऐसा करते थे, इसलिये हमने भी ऐसा किया! इल्मे दीन हासील करना आप पर भी तो फर्ज है! हमारे आका ﷺ इरशाद फरमाते है......._*

         📚 *_हदीस  " इल्मे दीन हासील करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है!"_*

          *_लेहाजा मुसलमान पर जरुरी है, की वह इल्म हासील करे, और हराम व हलाल, जाइज व नाजाइज मे तमीज सिखे!_*
 
        *_मुसलमानो का चौथा बहाना यह होता है की अगर हम शादी धुम-धाम से नही करेंगे तो लोग हम को तअ्ना देंगे के कंजुसी की वजह से यह रस्मे नही की! और कुछ रिश्तेदार कहेंगे की यह मातम की मज्लीस है, यहॉ नाच गाना नही गोया तिजा पढा जा रहा है! तअ्ने से कोई भी कभी भी  किसी वक्त बच नही सकता, कोई खाने मे नुक्स निकालता है तो कोई किसी और चिज मे नुक्स निकालेंगा ही_*

       *_पॉंचवा बहाना यह होता है के अल्लाह तआला ने हमे नवाजा है, हमारे अरमान है, अपनी दौलत लुटा रहे है, उसमे किसी के बाप का क्या जाता है! भला शादी भी कोई बार बार होती है, मौलवियो को तो बस इतने काम है, यह मत करो वह मत करो वगैरह वगैरह!_*

         *_इस बहाने से गरूर और तकब्बुर की बु आती है! अक्सर यह दौलतमंद हजरात कहते है! सबसे बेहतर तो यह होता की मुसलमान अपनी औलाद के निकाह मे खातुन ए जन्नत, शहजादी ए रसुल हजरत फातीमातुज्जोहरा रदी अल्लाहु तआला अन्हा के निकाहे पाक को नमुना बनाते! खुदा की कसम अगर हुजुर ﷺ की मर्जीए मुबारक होती के मेरी लख्ते जिगर की शादी बडी धुम-धाम से हो तो दुनियॉ की हर नेअमत आप अपनी साहबजादी के कदमो मे लाकर रख देते! और अगर हुजुर ﷺ सहाबा ए किराम को शादी के मौके पर धुम-धाम करने का हुक्म फरमा देते तो उसके लिये हजरत उस्मान गनी रदिअल्लाहु तआला अन्हु का खजाना मौजुद था! जो एक-एक जंग के लिये हजार ऊंट और लाखो अशरफियॉं हाजीरे बारगाह कर देते थे! लेकीन मंशा यह था के कयामत तक यह शादी मुसलमानो के लिये नमुना बन जाए, इसलिये बेहद सादगी से यह इस्लामी रस्म (निकाह) अदा की गई! लिहाजा गुजारीश है के अपनी शादी ब्याह से इन तमाम हराम रस्मो को निकाल बाहर करो और निहायत सादगी से निकाह की सुन्नत को अदा करो!जिससे के गरीब-गुरबा की मुश्कीले आसान हो जाए! और वह तुम को दुवाए दे!_*

📚 *_हदीस - नबी ए करीम ﷺ इरशाद फरमाते है....._*

            *_"शादी को इस कद्र आसान कर दो की जिना मुश्कील हो जाए! आसानी करो मुश्कील मे न डालो!"_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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