Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 023 📕*_
―――――――――――――――――――――

       💫 *_[दुल्हन दूल्हे को सजाना]_* 💫

*💫 💫 _शादी के मौके पर दुल्हन, दूल्हे को मेहंदी लगाई जाती है कंगन बाँधा जाता है और शादी के दिन सेहरा बाँधा जाता  है  और जे़वरात से सजाया जाता है लिहाजा यहां मसाइल बयान कर देना निहायत जरुरी है।_*

✍🏻 *_[मसअ़ला :-].... औरतों को हाथ पांव में मेहँदी लगाना जाइज़ है लेकिन बिला ज़रूरत छोटी बच्चियों के हाथ पाँव में मेहँदी लगाना न चाहिए। बड़ी लड़कियों के हाथ पाँव में मेहँदी लगा सकते हैं।_*

_📕 *कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 214*_

*👉🏻 _इस मसअ़ले से पता चला कि औरतें और बडी  लड़कियाँ मेहँदी लगा सकती है चाहे शादी का दिन हो या और कोई ख़ुशी का मौक़ा हो!_*

📚  *_[ हदीस :-]....   सरकारें मदीना ﷺ ने इरशाद फरमाया!......._*
   
         *_"औरतों को चाहिये के हाथ और पाँव में मेहँदी लगाए ताकि मर्दों की तरह हाथ न हो। और किसी वजह से या बे अहतियाती से किसी ग़ैर मर्द को दिख जाए तो उसे पता न चले औरत किस रंग की है यानी गोरी है या काली क्यों कि हाथों के रंग को देख कर भी इंसान चेहरे के रंग का अंदाज़ लगा लेता है"। इस हदीस से इरशाद हुआ कि "ज़्यादा न हो तो मेहँदी से नाखून ही रंगीन रखे"_*

_📕 *फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 148*_

      *👉🏻 _लिहाजा औरतों को मेहँदी लगाना बेशक जाइज़ है और इसी तरह हर किस्म के जे़वरात भी जाइज़ है। चुनान्चे औरत को मेहँदी लगाने जे़वरात से सजाने में कोई हर्ज नही । लेकिन मर्दों को येह सब हराम है चाहे दुल्हा ही क्यों न हो।_*

✍🏻 *_[मसअ़ला :-].... हाथ पाँव मे बल्कि सिर्फ़ नाखूनो में ही मेहँदी लगाना मर्द के लिए हराम है।_*

_📕 *फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 149*_

        *👉🏻 _शहजादा-ए-आला हज़रत हुज़ूर मुफ़्ती-ए-आज़मे हिन्द [रहमतुल्लाह तआला अलैह] के फ़तावा-ए मे है कि आप से फ़तवा पूछा गया......_*

✍🏻 *_[ सवाल :-].... दूल्हे को मेहन्दी लगाना दुरूस्त है कि नही। दूल्हा चाँदी के जे़वर पहनता है कंगन बांधता है, इस सूरत में निकाह पढ़ा दिया तो निकाह दुरूस्त हुआ है कि नही।_*

_*✍🏻 [ जवाब :-]....  [इस सवाल के जवाब में आप ने फ़तवा दिया कि] मर्द को हाथ पाँव में मेहँदी लगाना ना जाइज़  है, जे़वर पहनना गुनाह है , कंगन हिन्दूओ की रस्म है। येह सब चीज़े पहले उतरवाए फिर निकाह पढाए के जितनी देर निकाह मे  होगी उतनी देर वोह [दुल्हा] और गुनाह में रहेगा। और बुरे काम, को कुदरत [ताक़त] होते हुए न रोकना और देर करना खुद गुनाह है बाकी अगर जे़वर पहने हुए निकाह हुआ निकाह हो जाएगा।*_

_*📕 फ़तावा-ए-मुस्तफ़ाविया, जिल्द नं 3, सफा नं 175*_

      *_एक नीम मौलवी साहब ने हमारे एक अजीज से कहा की मर्द को मेहंदी लगाना हराम जरुरी है! लेकीन अगर अपने हाथ की छोटी अंगुली मे थोडी सी लगा ले तो हरज नही (माजअल्लाह!) हमारे इस दोस्त ने जवाब दिया! "तो फिर कोई कह सकता है की शराब हराम जरुर है, मगर थोडीसी पी ली जाए तो हरज नही!"_*

               *_गर्ज की आजकल के चंद मौलवियो ने यह ढोंग बना रखा है की मसाईल की किताबे पढने की बजाए अपनी नफ्स (ख्वाहीश) परस्ती मे मुज्तहिद बने फिरते है, और अपनी कमजोर अक्ल से उट-पटांग नए नए मस्अले पैदा करते रहते है! उन्हे इतनी तौफीक नही होती के जितनी देर मे वह अपनी कमजोर अक्ल पर जोर देते है, इतनी देर मे कोई मसाईल की किताब ही पढ ले और मस्अला को किताब से देख कर बताए, उन्हे तो अपनी वाह-वाही, और अपने आपको अल्लामा (उलमा) कहलवाने मे ही मजा आता है! अल्लाह तआला उन्हे तौफीक दे की वह उलमा ए हक के सहीह माने मे पैरु (Follower) बने की उसी मे उनकी नजात है!_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

No comments:

Post a Comment

Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...