Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 024 📕*_
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               💫💫 *[सेहरा]* 💫💫

    *👉🏻 _सेहरा पहनना मुबाह है ! यानि पहने तो न कोई सवाब और अगर न पहने तो न कोई गुनाह । यह जो लोगों में मशहूर है कि सेहरा पहेनना (हुज़ूर ﷺ) की सुन्नत है, महज बातील,और सरासर झूठ है!_*

✍🏻 *_[कौ़ल :-] मुजद्दिदे  आ़ज़म सैय्यदना आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] इरशाद फरमाते है। कि......_*

        *👉🏻 _सेहरा न शरीअ़त में न मना है न शरीअ़त में जरूरी या मुस्तहब बल्कि एक दुनियावी रस्म है कि तो क्या! न कि तो क्या! इसके अलावा जो इसे हराम गुनाह, बिदअ़त व जलालत बताए वह सख़्त झूठा सरासर मक्कार है। और जो उसे जरूरी [लाज़िम] समझे और तर्क को [सेहरा न पहेनने को] बुरा जाने और सेहरा न पहेनने वालों का मज़ाक उड़ाए वह निरा जाहिल है।_*

_📕 *हादिन्नास फी रूसूमिल आरास, सफा नं 42*_

          *👉🏻 _दूल्हे का सेहरा ख़ालिस असली फूलों का होना चाहिए। गुलाब के फूल हो तो बहुत बेहतर है । कि गुलाब फूल (हुज़ूर ﷺ) ने पसन्द फरमाया है।_*

           *_लिहाजा सेहरा पहनना ही हो तो खालीस गुलाब या चंबेली के फुलो का सेहरा पहने! सेहरे में चमक वाली पन्निया न हो कि यह ज़ीनत है।  मर्द को ज़ीनत करना और ऐसा लिबास पहनना जो चमकदार हो  हराम है। दुल्हन के सेहरे में अगर यह चमक वाली पन्नीया हो तो कोई हर्ज नही। के औरतो को जिनत जाइज है!_*
          *_इसी तरह आज कल कुछ लोग सेहरे में रूपये [नोट] वगैरह लगाते हैं यह फ़ुजूल ख़र्ची और गुरूर व तक़ब्बुर की निशानी है! (तकब्बुर) शरीअ़त में  सख्त हराम है!  लिहाजा अगर सेहरा सिर्फ़ खुशबूदार फूलों का ही हो! शादी एक दिन की होती है, दुसरे दिन सेहरे को न तो पहना जाता है, और न ही वह किसी काम का होता है! सबसे बेहतर तो यह है के गले मे  एक गुलाब के फूलों का हार डाल लिया जाए यही ज्यादा मुनासीब है! (वल्लाहो आ़लम)_*
     
_🌳 *[दुलहन दूल्हे को सजाते वक्त़ की दुआ]*_

           *👉🏻 _दुल्हन को जो औरतें सजाए उन्हें चाहिए कि वह दुल्हन को दुआ़ए दे! हदीसे पाक में है। कि...._*

📚  *_[हदीस :-]  उम्मुलमोमेनीन हज़रत आइशा सिद्दीक़ा [रदिअल्लाहु तआला अन्हा] इरशाद फरमाती है_*

       *_"हुज़ूर ﷺ से जब मेरा निकाह हुआ तो मेरी वालिदा माजीदा मुझे हुजुर ﷺ के दौलतकदा पर लाई वहाँ अन्सार की कुछ औरतें मौजूद थी! उन्होंने मुझे सजाया और यह दुआ दी.._*

*على الخیری والبراکة وعلى خير طائر*

     *_(अलल ख़ैरे वल बराकतेे व आ़ला खै़रे त-अ-ए-रिन०_*

 *_[ तर्जुमा :-]    ख़ैर व बरक़त हो अल्लाह ने तुम्हारा नसीब अच्छा किया_*

*_(बुखारी शरीफ की एक दुसरी रिवायत है के, "हुजुर ﷺ ने हजरत अब्दुर्रहमान बिन औफ रदि अल्लाहु तआला अन्हु को उनकी शादी पर इसी तरह बरकत की दुआ इरशाद फरमाई!"_*

_📕 *बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 87, हदीस नं 142, सफा नं 82*_

        👉🏻 *_.... लिहाजा हमारी  इस्लामी बहनों को भी चाहिए जब वह किसी की शादी के मौके पर जाएं दुल्हन सजाते वक़्त या फिर उनसे मुलाकात करते वक्त़ बरक़त की दुआ करें  ।_*

             *_इसी तरह दूल्हे को सजाने वालो को और उससे मिलने वालो को भी चाहिए की वह भी दूल्हे को सजाते या सेहरा बांधते वक्त़ या मिलते वक्त यह दुआ दें।_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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