Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 033 📕*_
―――――――――――――――――――――

             🔥🔥 *_बुरा वलीमा_* 🔥🔥

📚 _*हदिस : अल्लाह के रसुल ﷺ इरशाद फरमाते है!......*_

💫 _*"जो काफीरो की ताजीम व तौकीर (इज्जत अफजाई और कद्र) करे यकीनन उसने दीन ए इस्लाम को ढाने (तोडने) मे मदद की!"*_ 

_📕 *इब्ने अदी, इब्ने असाकीर, तबरानी, बैहकी शरीफ, इबु नईम फिल हिलयाती*_

👉 _*बताइये जिन लोगो के मुतअल्लीक यह फरमान है! उनकी खातीर तवाजु मे इस कद्र मुबालेगा करना और मुसलमानो को उन से कम दर्जा शुमार करना कहॉ तक सही है! कुछ लोग कहते है की "साहब हमे दिन रात उनके बीच उठना बैठना है! हमारे कारोबारी ताअल्लुकात है, इसलिये यह सब कुछ करना जरूरी है!"*_

     _*"एे मेरे भाई! जरा यह तो बताओ की क्या उमुमन यह गैर मुस्लीम भी अपनी शादी ब्याह के मौके पर मुसलमानो के लिये अलग और उनका पसंदीदा खाना रखते है? जी नही! तो फीर हम क्यो  उनसे मस्लेहत (Compromise) करे!" यकीनन ऐसे वलीमा का कोई सवाब नही मिलता जिसमे मुसलमानो से ज्यादा गैर मुसलमानो को अहमियत दी जाए!"*_

       💫  *_[टेबल कुर्सी पर खाना]_* 💫

📚 _*हदीस :- हज़रत अनस बिन मालीक [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है। कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया.....*_

 💎 _*"जब खाना खाने बैठो तो जूते उतार लो के इस में तुम्हारे पाँव के लिए ज़्यादा राहत है और येह अच्छी सुन्नत है"*_

_📕 *तबरानी शरीफ*_

_*आज कल टेबल कुर्सी पर जूते पहने हुए खाना-खाने का  फैशन बन गया है। जिस दावत  मे टेबल कुर्सी का इंतजाम न हो वह दावत घटीया किस्म की दावत समझी जाती है!*_   

          _*टेबल कुर्सी पर खाना खाने के मुत्अ़ल्लिक़ मुजद्दिदे आज़म इमाम अहमद रज़ा खाँ रदिअल्लाहु तआला अन्हु इरशाद फरमाते है.....*_

          👉🏻 _*...."टेबल कुर्सी पर जूता पहेने हुए खाना खाना ईसाइयों की नक़्ल है, इससे दूर भागे और रसूलुल्लाह ﷺ का वह इरशाद याद करे।*_
*من تشبه بقوم فهو منهم*

_*यानी जो किसी क़ौम से मुशाबेहत (नक़्ल) पैदा करे वह उन्ही में से है।*_

_📕 *फ़तावा-ए-अफ्रीका, सफा नं 53*_

💫 *_यह तो टेबल कुर्सी पर खाने के मुतअल्लीक हुक्म था! मगर मौजुदा दौर मे इतनी तरक्की हो गई है के अक्सर जगह खडे-खडे खाने का इंतेजाम होता है! इसमे ऐसे मुसलमान ज्यादा शरीक है, जिनके सर पर सोसायटी मे मॉर्डन कहलाने का भुत सवार है! हैरत बालाए हैरत इस तरह की भिकारी की दावत को स्टेंडर्ड (Standard) का नाम दिया जा रहा है!_*

💫💫 *_अल्लाह तआला ने इंसान को अशरफुल मख्लुकात बनाया, और उसे खानेे, पिने, सोने, जागने, चलने फिरने, और उठने बैठने  गर्ज की हर मुआमले मे जानवरों से अलग मुंफरीद इम्तियाज खुसुसीयत से नवाजा है! लकीन ताज्जुब! आज का इंसान जानवरो के तरीको को अपनाने मे ही अपनी तरक्की समझ रहा है!और इसपर फुले नही समा रहा है! अल्लाह तआला मुसलमानो को जानवरो की तरह खडे रहकर खाने-पिने से बचने की तौफीक अता फरमाए! आमीन!_*

✍🏻 *_[मसअ़ला :-].... भूख से कम खाना सुन्नत है, भूख भर कर खाना मुबाह है, (यानी न सवाब है न गुनाह) और भूख से ज़्यादा खाना हराम है। ज़्यादा खाने का मतलब यह है कि इतना खाया की पेट खराब होने या  बदहज्मी होने का गुमान है।_*

_📕 *कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 178*_

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

No comments:

Post a Comment

Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...