Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 035 📕*_
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    💫 *_मुबाशरत (सोहबत) के आदाब_* 💫

 _*अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है.....*_

💎 _*📝तर्जुमा : "तो उन से सोहबत करो और तलब करो जो अल्लाह ने तुम्हारे नसीब में लिखा हो ।"*_

_📕 *तर्जुमा :- कन्जुल इमान, पारा 2, सूरह ए बखराह, आयत नं 187*_

      👉 _*इस बात का हमेशा   खयाल  रखे कि जब भी मुबाशरत (सोहबत) का इरादा हो तो यह जान ले के कही औरत हैज़ (माहवारी) की हालत में तो नही है। चुनांचे औरत से साफ़ साफ़ पूछ ले । और औरत की भी जिम्मेदारी है की अगर वह हैज की हालत मे है, तो बेझिजक अपने शौहर को बता दे! अगर औरत हैज़ की हालत में हो तो हरगिज़ हरगिज़ सोहबत न करे कि इस हालत में औरत से सोहबत करना बहुत बड़ा गुनाह है। (इस मसअ़ले का बयान इंशा अल्लाह आगे आएेगा)*_
           
    👉🏻 _*अक्सर औरतें शादी की पहली रात (सुहाग रात) हालते हैज (महावीरी) मे होने के बावजुद शर्म की वजह से बताती नही है। या कह भी दे तो बहत कम मर्द  होते है जो सब्र से काम लेते है!  और जो   सोहबत कर बैठते है , और जल्दबाज़ी की सज़ा उम्र भर डॉक्टरों और हकीमों की फ़ीस की शक़्ल में भुगतने पडते हा!  लिहाजा मर्द और औरत दोनों को ऐसे मौक़ों पर सब्र से काम लेना चाहीये!*_

 👉🏻 _*कुछ मर्द मतलब परस्त होते हैं। उन्हें सिर्फ़ अपने मतलब से ही लेना (काम) होता है, वह दूसरे की खुशी को कोई अहमियत नहीं देते वह यही उसूल अपनी बीवी के साथ भी रखते हैं! चुनांचे जब उनके दिल मे ख्वाहिश ए जिमा होती है, तो वह यह नही देखते की औरत उसके लिये तैयार है या नही, वह कही किसी दुख दर्द या बिमारी मे मुब्तला तो नही है?    इन सब  बातो से  उन्हें कोई मतलब नहीं होता वह बेसब्री के साथ औरत  से अपनी ख्वाहिश की तक्मील कर लेते है!  इस हरकत से औरत की निगाह में मर्द की इज़्ज़त कम हो जाती है और वह मर्द को मतलब परस्त  समझने लगती है! साथ ही  वह मुबाशरत (सोहबत) का लुत्फ भी हासिल नही हो पाता।*_

 📚 _*हदीस : उत्बा बिन अस्सलमी रदी अल्हाहु तआला अन्हु से  रिवायत है के रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया.....*_

💎 _*"तुम मे से जो कोई अपनी बीवी के पास जाए तो पर्दा कर ले और गधो की तरह न शुरू हो जाए"*_

📕 *_इब्ने माज़ा, जिल्द नं 1, बाब नं 616, सफा नं 538, हदीस नं 1990_*

📚 _*हदीस : सैय्यदना हज़रत इमाम ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है । कि  हुजुर ﷺ ने इरशाद फरमाया.....*_
     
💎 *_"मर्द को न चाहिए कि अपनी औरत पर जानवर की तरह गिरे, सोहबत से पहले क़ासिद (पैग़ाम पहुँचाने वाला) होता है"। सहाब-ए-किराम ने अ़र्ज़  किया "या रसूलुल्लाह ! वह क़ासिद क्या है?? आप ने इरशाद फरमाया "वह बोस व किनार (Kiss) वगै़रह है"। और मुहब्बत आमोज (प्यार भरी) गुफ्तगु है! (यानी सोहबत से पहले   औरत को राज़ी करना)_*

📕 *_कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 266_*

📚 _*हदीस : उम्मुल मोमीनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा रदि अल्लाहु तआला अन्हा से मरवी  है। कि रसूले अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया.....*_         

💎 _*जो मर्द अपनी बीवी का हाथ उसको बहलाने के लिए पकड़ता है। अल्लाह तआला उस के लिए एक (1) नेक़ी लिख देता है!  जब मर्द मुहब्बत के साथ औरत के गले में हाथ डा़लता है, उसके हक़ में दस (10) नेक़ियां लिखी जाती है, और जब औरत से जिमा (सोहबत) करता है तो दुनिया और माफीहा से बेहतर हो जाता है।*_

📕 *_गुनीयातुत्तालिबीन, सफा नं 113_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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