_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 036 📕*_
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_*💫मुबाशरत (सोहबत) के आदाब 💫*_
👉🏻 *_सोहबत से पहले खुद बेचैन न हो जाए अपने आप पर पुरा इत्मीनान रखे! जल्दबाज़ी न करें पहले बीवी से प्यार मुहब्बत भरी गुफ्तगु करे फिर बोस व किनार के जरीये उसे मुबाशरत के लिये (आमदा) तैय्यार करे और इसी दौरान दिल ही दिल में यह दुआ पढे_*
*بسم الله العلى العظيم الله اكبر الله اكبر*
*_बिस्मील्लाह्-हील अलीयील अजीमी अल्लाहु अकबर! अल्लाहु अकबर_*
*_तर्जुमा : अल्लाह के नाम से जो बुज़ुर्ग व बरतर अ़ज़मत वाला है। अल्लाह बहुत बड़ा है अल्लाह बहुत बड़ा है_*
👉🏻 *_इसके बाद मर्द, औरत जब सोहबत का इरादा कर ले तो कपड़े जिस्म से अलग करने से पहले एक मर्तबा "सूर ए इख़लास" पढ़े_*
*﷽*
*قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ۔ اللَّهُ الصَّمَدُ ۔ لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ۔ وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ۔*
👉🏻 *_सूरए इख़्लास पढ़ने के बाद यह दुआ पढ़ें।_*
*بِسْمِ اللَّهِ ، اللَّهُمَّ جَنِّبْنَا الشَّيْطَانَ ، وَجَنِّبْ الشَّيْطَانَ مَا رَزَقْتَنَا*
*_बिसमिल्लाही अल्लाहुम्मा जन्निब्नश्शयताना व जन्निबिश्शयताना मा रजखतना_*
👉🏻 *_तर्जुमा :- अल्लाह के नाम से! एे अल्लाह दूर कर हम से शैतान मरदूद को और दूर कर शैतान मरदूद को उस औलाद से जो तू हमें अता करेगा।_*
_📕 *[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3 सफा नं 473, कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 266, हिस्ने हसीन, सफा नं 165,]*_
📚 *_हदीस :- हज़रत अबदुल्लाह इब्ने अब्बास [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है। कि रसूले अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया......_*
👉🏻 *_"जो शख़्स इस दुआ को सोहबत के वक्त़ पढे़गा (वही दुआ जो ऊपर लिखी गई है) तो अल्लाह तआला उस पढ़ने वाले को अगर औलाद अ़ता फ़रमाए तो उस औलाद को शैतान कभी भी नुकसान न पहुँचा सकेगा।_*
📕 _*[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, सफा नं 85, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 557,]*_
🔥🔥 *_होशियार_*🔥🔥
*_इस हदीस की शरह (Explanation) में हुज़ूर गौ़से आ़ज़म शेख़ अब्दुल क़ादिर ज़ीलानी व मुहक़्क़िक़े इस्लाम शेख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी और आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ [रदि अल्लाहु तआला अन्हुम] इरशाद फरमाते है....._*
👉🏻 *_...."अगर कोई शख़्स सोहबत के वक्त़ यह दुआ न पढ़े (यानी शैतान से पनाह न माँगे) तो उस शख़्स की शर्मगाह से शैतान लिपट जाता है और उस मर्द के साथ शैतान भी उस की औरत से सोहबत करने लगता है। और इस जिमा से जो औलाद पैदा होती है वह न फ़रमान, बुरी आ़दतों वाली, बेगै़रत, बद्'दीन होती है! शैतान की इस दख़ल अंदाज़ी की सबब औलाद में तबाह कारी आ जाती है। (वल-अयाज बिल्लाह)_*
📕 _*[गुन्यतुत्तालिबीन, सफा नं 116, अश्अ़तुल लम्आ़त, फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 46,]*_
_*हदीस :- "बुखारी शरीफ" की एक हदीस में है के हज़रत सअ़द बिन ऊबादा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] ने फरमाया"-----*_
👉🏻 *_"अगर में अपनी बीवी को किसी के साथ देख लूं तो तलवार से उस का काम तमाम कर दूँ। उन की येह बात सुन कर अल्लाह के रसूल ﷺ ने इरशाद फरमाया..."लोगों तुम्हें साअ़द की इस बात पर ताअ़ज्जुब आता है हालाँकि मैं उन से बहुत ज़्यादा ग़ैरत वाला हूँ और अल्लाह तआला मुझ से ज़्यादा ग़ैरत वाला है।_*
📕 _*[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 137, सफा नं 104,]*_
👉🏻 *_लिहाजा इस मुसीबत से बचने के लिये जब भी सोहबत करे तो याद करके दुआ पढ ले! या कम अज कम आऊजु-बिल्लाही मिनश्शैता-निर्रजीम बिसमिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम जरुर पढ लिया करे!_*
👉 _*गालिबन आज कल बहुत से हमारे भाई ऐसे होंगे जो सोहबत के वक्त़ दुआ़ नहीं पढ़ते । शायद यही वजह है कि नस्ले (औलादें) बेग़ैरत, नाफ़रमान, और दीन से दूर नज़र आ रही है। हमारा और आप का रोज़ मर्रा का मुशाहिदा है कि औलाद से बाप कहता है बुजुर्गों की मज़ारात पर हाजिर होना चाहिए बेटा बुजुर्गों की मज़ारों पे जाने को ज़िना और कत्ल कर देने से बदतर समझता है। बाप का अ़कीदा है कि रसूलुल्लाह ﷺ आक़ा व मौला है, बेटा रसूले अकरम ﷺ को अपने जैसा बशर और बडे भाई से ज्यादा समझने को तैयार नही! (माजअल्लाह!)*_
👉 _*गरज के इस तरह की सैकडो मिसाले है की दुनियावी मुआमला हो या दीनी, औलाद अपने मॉं बाप और बुजुर्गो से बाग़ी नज़र आती है! अल्लाह तआला मुसलमानों को तौफ़ीक़ दे।*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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