_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 037 📕*_
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*_💦इन्जा़ल (मनी निकलते वक्त़)की दुआ़_*
👉🏻 *_जिस वक़्त इन्ज़ाल हो यानी मर्द की मनी (वीर्य) उस के आले (ऊज़ू-ए-तनासुल) से निकल कर औरत की फरज (शर्मगाह) में दाखिल होने लगे उस वक्त़ दिल ही दिल में यह दुआ़ पढ़ें!_*
*اللَّهُمَّ لَا تَجْعَلْ لِلشَّيْطَانِ فِيمَا رَزَقْتَنِى نَصِيبًا*
*_अल्लाहुम्मा ला-तज-अल लिश्शैतानी फिमा रज़खतनी नसीबा!_*
👉🏻 *_तर्जुमा :- एे अल्लाह! शैतान के लिए हिस्सा न बना इसमे में जो (औलाद) तू हमें अ़ता करें।_*
_📕 *हिस्ने हसीन, सफा नं 165, फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 161*_
👉🏻 *_इस दुआ़ की तालीम देना इस बात की शहादत है कि इस्लाम एक मुकम्मल दीन है। जो ज़िन्दगी के हर मोड़ पर अपना हुक़्म नाफ़िज़ करता है ताकि मुसलमान किसी भी मामले में किसी दूसरे मज़हब (धर्म) व कानुन का मोहताज़ न रहे! और इस दुआ मे दुसरी हिकमत यह भी है के मुसलमान कीसी भी हाल में यादें इलाही से गा़फ़िल न रहे बल्की हर हाल मे अल्लाह की रहमत का उम्मीदवार रहे!_*
*_साथ ही साथ यह बात भी याद रखना ज़रूरी है। कि आने वाली औलाद के लिए अल्लाह तआला की बारगा़ह में दुआ़ तो की जाए के अल्लाह तआला उसे शैतान से महफ़ूज रखे! लेकिन जब औलाद पैदा हो जाए और उसे शैतानी कामों से न रोके, उसे बुरी बातों से मना न करे, और अच्छी बातों का हुक़्म न दे, तो बड़ी अ़जीब व ताअ़ज्जुब खेज बात होगी। इसलिए आगाह हो जाईये! के यह दुआ़ हमें आइन्दा के लिए भी अ़मले खैर करने की दावते फिक्र देती है।_*
❤ *[इन्ज़ाल के फौरन बाद अलग न हो]* ❤
📚 *_हदीस :- सैय्यदना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है। कि हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फरमाया............._*
💎💎 *_"मर्द में यह कमजोरी की निशानी है कि जब मुबाशरत (सोहबत)का इरादा करे तो बोस व किनार (चुम्मन) से पहले बीवी से सोहबत करने लगे और जब इंजाल (उस की मनी, वीर्य) निकलने लगे तो सब्र ना करे और फौरन अलग हो जाए कि औरत की जरुरत (हाजत ) पूरी नही होती"_*
📕 *_कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 266_*
👉🏻 *_इमाम अहले सुन्नत आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ कादरी [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] फ़रमाते है...._*
👉🏻 *_...."इन्ज़ाल होने के बाद फौरन औरत से जुदा न हो यहाँ तक कि औरत की भी हाजत (जरुरत) पूरी हो हदीसे पाक में इस का भी हुक़्म है! अल्लाह अज़्ज़ व जल्ला की बेशुमार दुरूदे उस नबी ए रहेमत ﷺ पर जिन्हो ने हम को हर बाब में तालीमे खै़र दी और हमारी दुनियावी और दीनी हाज़तो की कश्ती को किसी दूसरे के सहारे न छोड़ा।"_*
📕 *_फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 161_*
👉🏻 *_....चुनांचे मर्द को इंजाल हो भी जाए (मनी , वीर्य निकल जाए )तो भी फौरन औरत से अलग न हो जाए बल्कि इसी तरह कुछ देर और ठहरा रहे ताकि औरत का भी मतलब पूरा हो जाए क्योंकि कुछ औरतों को देर में इन्ज़ाल होता है।_*
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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