Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 047 📕*_
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            _*ज़्यादा सोहबत नुकसानदेह*_

       *_मसअ्ला : बीवी से जिन्दगी मे एक मरतबा सोहबत करना कतअन वाज़िब है। और हुक्म यह है कि औरत से सोहबत कभी कभी करता रहे इसके लिए कोई हद नही  है!मगर इतना तो हो कि औरत की नज़र औरों की तरफ़ न उठे , और इतना ज़्यादा भी जाइज़ नही कि औरत को नुक़्सान पहुँचे।_*

📕 *_कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 63_*

             👉🏻 _*हद से ज़्यादा मुबाशरत (सोहबत) करने से मर्द और औरत दोनो के लिए नुक़सान है! ज्यादा सोहबत से मर्द की सेहत पर ज्यादा असर पडता है! सेहत की कमजोरी फिर तरह-तरह की बिमारीयो की वजह बनती है!   अक्सर शहवत परस्त औरतो के शौहर मुसस्सल मुबाशरत की वजह से अपनी सेहत खो बैठते है! और सेहत की कमजोरी की वजह से जब वह औरत की ख्वाहिश (पहले की तरह) पुरी नही कर पाते, और औरत को जब आदत के मुताबीक तसल्ली नही हो पाती है, तो वह फिर पडोस और बाहर वह चीज तलाश करने की कोशीश करती है! फिर एक नई बुराई का जन्म होता है!  इसलिये जरूरी है के कुदरत की इस अनमोल चिज (सेहत व कुव्वत) का इस्तेमाल बेदर्दी से न किया जाए!*।_

      👉🏻 *_हकीमों ने लिखा है कि ज़्यादा से ज़्यादा हफ्ते में दो मरतबा सोहबत की जाए। हकीम बुक़रात जो एक बहुत बड़े हकीम थे और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से 450 साल पहले गुजरे है उनसे किसी ने पूछा..... "सोहबत हफ़्ते में कितनी मरतबा करनी चाहिये"? उन्होने जवाब दिया-... "हफ़्ते में सिर्फ एक मरतबा" पूछने वाले ने फिर पूछा... "एक मरतबा ही क्यों ?" बुक़रात ने झल्ला कर जवाब दिया "तुम्हारी ज़िन्दगी है तुम जानो मुझसे क्या पूछते हो" गोया यह इशारा था ज़्यादा सोहबत करोगे तो कमज़ोर हो जाओंगे और जिन्दगी ख़तरे में पड़ सकती है! गालीबन हकीम राजी ने अपनी किताब मे लिखा है की..........._*

💫💫 *_"ज्यादा सोहबत मोटो को दुबला, और दुबलो को मुर्दा, जवानो को बुढा और बुढो को मौत की तरफ ढकेल देती है!"_*

✍🏻 *_हजरत फक़ीह अबूल्लैस समरक़न्दी [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है। कि हज़रत मौला अ़ली [कर्रमल्लाहु वज्हुल करीम] ने इरशाद फरमाया........_*

💫 *_"जो शख़्स इस बात का ख़्वाहिश मन्द हो कि उसकी सेहत अच्छी हो और ज़्यादा दिन तक क़ायम रहे तो उसे चाहिए कि वह कम खाया करे और औरत से कम सोहबत किया करे"।_*

📕 *_बुस्तान शरीफ_*

👉🏻 _*आज के इस फ़ैशन और नंगाई के दौर में ज़ज़्बात बहुत जल्द बे क़ाबू हो जाते है इसलिए ध्यान रखे कि बीवी की अगर ख़्वाहिश हो तो इंकार भी न करे वरना ज़ेहन भटकने का अंदेशा है!*_

💫 _*इमाम मुहम्मद गजाली रजी अल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है........*_

💫 *_"मर्द चार दिनो मे एक बार औरत से जिमा कर सकता है, और औरत की जरुरत पुरा करना और उसकी परहेजगारी के ऐतेबार से इस हदसे कमो बेश भी मुबाशरत कर सकता है, क्यो की औरत को पाक दामन रखना मर्द पर वाजीब है!_*

📕 *_अहया-उल-उलुम जिल्द 2, सफा नं 95_*

👉🏻 _*कुछ लोग शादी के बाद शुरू शुरू में औरत पर अपनी क़ुव्वत और मर्दानगी का रौब डालने के लिए दवाओं का या किसी स्प्रे या तेल वगै़रह का इस्तेमाल करते है,  जिससे औरत और वह खुब लुत्फ अंदोज होते है! लेकिन बाद में इसका उल्टा असर होता है। मर्द और औरत उस चीज़ की आदी हो जाते है!  फिर बाद में अगर मर्द वह दवा या स्प्रे इस्तेमाल न करे तो औरत को तसल्ली नही होती। और वह अपनी ख्वाहीश को पुरा करने के लिए मर्द को इसका इस्तेमाल करने पर मजबूर करती है। दवाओं के मुसलसल इस्तेमाल से मर्द की सेहत पर बुरा असर पडता है! और वह दवाओं का आदी हो कर जल्द ही तरह तरह की बीमारियों मे मुब्तीला हो जाता है! मर्द अगर यह दवाएँ इस्तेमाल न करे तो औरत को पहले की तरह इत्मीनान नही होता जिसकी वह आदी हो चुकी है, चुनांचेवऐसी हालत मे औरत के बदचलन होने का भी ख़तरा होता है या फिर वह दिमाग़ी मरीज़ होने का भी खतरा है!*_

    _*लिहाजा क़ुव्वते मर्दाना को बढ़ाने के लिए और उसे बरकरार रखने के लिये मस्नुई  दवाओं, स्प्रे, तेल वगै़रा के बजाए ताक़तवर ग़िज़ाओं का इस्तेमाल करे । ग़िज़ा के जरिए बढ़ाई हुई ताक़त ख़त्म नही होती और न ही इस से किसी तरह का नुक़सान होता है।*_

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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