Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 048 📕*_
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                 _*मुबाशरत के औकात*_

       👉🏻 *_शरीयत ए इस्लामी मे सोहबत करने के लिए कोई ख़ास वक्त़ नही बताया गया है। शरीअ़त मे (अलावा नमाज के औकात) दिन और रात के हर हिस्से में सोहबत करना जाइज़ है, लेकिन बुजुर्गों ने कुछ ऐसे अवक़ात (वक्त़) बताए है जिन में सोहबत करना सेहत के लिए फ़ायदेमन्द है।_*

         *_हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रजी अल्लाहु तआला अन्हु   "इहयाउल ऊलूम" मे उम्मुल मोमीनीन हज़रत आएशा सिद्दीका [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] से रिवायत है के फरमाती है..._*

 💫   *_रसूले करीम ﷺ रात के आख़िरी हिस्से में (तकरीबन रात 2 बजे से लेकर फ़ज्र की अ़जान से पहले) जब वित्र की नमाज़ पढ़ चुके होते तो अगर आप को अपनी किसी बीवी की हाज़त होती तो उनसे मुबाशरत फ़रमाते ।_*

📕 *_इहयाउल ऊलूम_*

💫💫   *_हदीसों मे है कि हुजुर ﷺ ईशा की नमाज़ पढ़ते और सिर्फ़ ईशा की वित्र नही पढ़ते फिर आप कुछ घंटे आराम फ़रमाते फिर उठते और  "तहज्जुद" की नमाज़ पढ़ते और कुछ नफ़्ल नमाज़े अदा फरमाते और आखिर में ईशा की वित्र पढ़ते, उसके बाद अगर आप को अपनी किसी बीवी की हाज़त होती तो उनसे सोहबत फ़रमाते या अगर हाज़त न होती तो आप आराम फ़रमाते यहाँ तक कि हज़रत बिलाल [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] नमाज़े फ़ज्र के लिए अ़जान के वक्त़ आप को इत्तेला देते।_*

✍🏻 *_इस हदीस के तहत इमाम ग़ज़ाली रदी अल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते है....._*

      👉🏻 *_रात के पहले हिस्से (तकरीबन 9 से 12 बजे के दरम्यान) मे सोहबत करना मक़रूह है कि सोहबत करने के बाद पूरी रात नापाक़ी की हालत मे सोना पड़ेगा।_*

📕 *_इहयाउल ऊलूम_*

          ✍🏻 *_हजरत इमाम फक़ीह अबूललैस_* _[रदि अल्लाहु तआला अन्हु] अपनी किताब *"बुस्तान शरीफ"* में नक़्ल फरमाते है कि........_

💫 *_सोहबत के लिए सबसे बेहतर वक्त़ रात का आख़िरी हिस्सा है (यानी तकरीबन 2 से बजे से 4  बजे के दर्मीयान) क्योंकि रात के पहले हिस्से में पेट ग़िज़ा (खाने) से भरा होता है और भरे पेट सोहबत करने से सेहत को नुक़सान है! जब के रात के आख़िरी हिस्से में सोहबत करने से फ़ायदे है! (जैसे आदमी दिन भर का थका हुआ होता है और रात के पहले और दूसरे हिस्से में उस की नींद पुरी हो जाती है! जिस की वजह से उस की दिनभर की थकावट दूर हो जाती है, इसके अलावा दूसरा एक यह भी फ़ायदा है कि रात के आख़िरी हिस्से तक खाना अच्छी तरह हज़्म हो जाता है।)_*

📕 *_बुस्तान शरीफ_*

💫💫 *_"हकीमो की तहकीक के मुताबीक पेट भरा होने की हालत मे मुबाशरत नही करना चाहीये की इससे औलाद कुंद जेहन पैदा होती है!"_*

           ✍🏻 _*यह तमाम बातें हिक़्मत के मुताबिक़ है! शरीयत मे सोहबत के लिये कोई ख़ास वक्त़ मुतैय्यन नही की इसी वक्त पर सोहबत की जाए! शरीअ़त मे हर वक्त़ सोहबत की इज़ाज़त है। हुजुर ﷺ अज्वाजे मुतह्हरात (बिवीयों) से दिन और रात के दिगर वक्त़ो में सोहबत करना साब़ित है। हॉ कुछ दिनो की फजीलत अहादिस मे वारीद है, जैसा की हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रजी अल्लाहु तआला अन्हु  नक्ल फरमाते है.... "बाज उलमाओ ने शबे जुमा और दिन को मुबाशरत करना मुस्तहब कहा है!"*_

_*📕 इहया उल उलुम जिल्द 2 सफा नं 94*_

*_(वल्लाहो तआला आ़लम)_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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