_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 049 📕*_
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*_इन रातों में सोहबत न करें_*
✍🏻 *_अमीरूल-मोमिनीन हज़रत अली_* और *_हज़रत अबू ह़ुरैरा_* और *_हज़रत अमीर मुआ़विया_* _[रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] से रिवायत किया है कि.........!_
💫 *_"(हर महीने की) चाँद रात, और चाँद की पन्द्रहवी शब, और चाँद के महीने की आख़िरी शब, सोहबत करना मकरूह है, कि इन रातों मे जिमा के वक्त़ शैतान मौजूद होते है"_*
📕 *_कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 266_*
✍🏻 *_तहक़ीक़ यह है कि इन रातों में सोहबत करना जाइज़ है, लेकिन एहतियात इसी मे है कि सोहबत करने से इन रातो मे परहेज करे।_* *_(वल्लाहु तआला आ़लम)_*
*_[रमज़ान-उल मुबारक मे मुबाशरत]_*
💎 *_आयत : अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इर्शाद फरमाता है.................._*
*_तर्जुमा : रोज़ों की रातों में अपनी औरतों के पास जाना तुम्हारे लिए हलाल हुआ ।_*
📕 *_तर्जुमा कन्जुल इमान, सूर ए बखरा आयत नं 187_*
👉🏻 *_रमज़ान के महीने मे रात को सोहबत कर सकते है नापाक़ी की हालत मे सेहरी किया तो जाइज़ है और रोज़ा भी हो जाता है। लेकिन नापाक रहना सख़्त गुनाह है।_*
✍🏻 *_मसअ़ला : रोज़े की हालत मे मर्द औरत ने सोहबत की तो रोज़ा टूट गया मर्द ने औरत का बोसा लिया, गले लगाया और इन्ज़ाल हो गया तो रोज़ा टूट गया!औरत को कपडे के उपर से छुआ और कपडा इतना मोटा है की बदन की गर्मी महसुस नही होती तो रोजा न टुटा, अगरचे मर्द को इंजाल हो गया और अगर औरत ने मर्द को छुआ और मर्द को इंजाल हो गया तो रोजा न गया!_*
📕 *_बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 59_*
✍🏻 *_मसअ़ला : किसी ने मर्द को या औरत को रोजे की हालत मे मजबुर किया की जिमा करे, नही तो कत्ल करने की उज्व काट डालने की या किसी और तरह की जानी नुक्सान पहु्ंचाने की धमकी दी, और रोजदार को यह यकीन है के अगर उसका कहेना न माना तो जो कहता है कर गुजरेंगा लिहाजा उसने जिमा किया तो रोजा टुट गया, लेकीन कफ्फारा लाजीम न हुआ, सिर्फ कजा रोजा रखना होंगा!_*
📕 *_बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 61_*
✍🏻 _*मसअ़ला : औरत ने मर्द को जिमा करने पर मजबुर किया तो मर्द औरत का रोजा टुट गया, लेकीन औरत पर कफ्फारा वाजीब है मर्द पर नही बल्की वह सिर्फ कजा रोजा रखेंगा*_
📕 *_बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 62_*
✍🏻 _*मसअ़ला : जान बूझकर मर्द ने रोजे की हालत मे औरत से जिमा किया, इंजाल हो न हो (यानी मनी निकले या न निकले) तो रोज़ा टूट गया और कफ़्फ़ारा भी लाजीम हो गया।*_
📕 *_बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 61_*
💎💎 *_कफ़्फ़ारा: कफ़्फ़ारा यह है कि एक गुलाम आजाद करे! (मौजुदा दौर मे यह किसी भी मुल्क मे मुमकीन नही) दुसरी सुरत यह है के लगातार साठ (60) रोज़े रखे! अगर यह भी न हो सके तो फिर 60 मिस्कीनो (गरीब मोहताज़ों) को पेट भर कर दोनो वक्त़ो का खाना खिलाए। और अगर रोज़ा रखने की सूरत में अगर बीच में एक दिन का भी रोज़ा छूट गया तो अब फिर से साठ (60) रोज़े रखने होगें पहले रखे हुए रोज़ों को गिना नही जाएगा। मसलन (59) रख चुका था साठवॉं नही रख सका तो फिर से रोज़े रखे। पहले के उन्सठ (59) बेकार हो गए। लेकिन अगर औरत को रोज़े रखने के दौरान हैज़ (माहवारी) आ गई तो हालते हैज़ मे रोज़े रखना छोड़ दे फिर बाद में पाक़ होने के बाद बचे हुए रोज़े रखे यानी पहले के रोज़े और हैज़ के बाद वाले रोज़े पुरे कर ले! हैज से पहले और हैज के बाद के दोनों को मिला कर साठ (60) रोजे हो जाने से कफ़्फ़ारा अदा हो जाएेगा अगर कफ़्फ़ारा अदा न किया तो सख़्त गुनाहगार होगा और बरोज़े महशर सख़्त अज़ाब़ होंगा।_*
📕 *_बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5 सफा नं 62_*
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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