_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 050 📕*_
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*_हैज़ (माहवारी) का बयान_*
👉🏻 *_बालेग़ा औरत के आगे के मक़ाम (शर्मगाह) से जो खून आदत के मुताबिक़ निकलता है उसे हैज़ (माहवारी MC Period) कहते है। लड़की को जिस उम्र से यह खून आना शुरू हो जाएे तो शरई रू से वह उस वक्त़ से बालिग़ समझी जाएंगी।_*
✍🏻 *_मसअ़ला : हैज़ (माहवारी) की मुद्दत कम से कम तीन दिन और तीन रातें है यानी पूरे बहत्तर (72) घंटे, एक मिनट भी अगर कम है तो हैज़ नही। और ज़्यादा से ज़्यादा दस (10) दिन और दस रातें है।_*
📕 *_बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 51_*
✍🏻 *_मसअ़ला : हैज़ में जो खून आता है उस के छह (6) रंग है, काला, लाल, हरा, पीला, गदला, (कीचड़ के रंग जैसा) और मटीला (मिट्टी के रंग जैसा) उन रंगों मे से किसी भी रंग का खून आए तो हैज़ है ! सफ़ेद रंग की रूतूबत (गीलापन) हैज़ नही।_*
📕 *_बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 43, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1 सफा नं 52_*
✍🏻 *_मसअ़ला : हैज़ और निफ़ास (निफ़ास का बयान आगे तफ्सील मे आएगा) की हालत में क़ुरआने करीम को छूना, देख कर या ज़बानी पढ़ना, नमाज पढना, दीनी किताबों को छूना, यह सब हराम है! लेकिन दुरूद शरीफ, कलीमा शरीफ, वगै़रह पढ़ने मे कोई हर्ज नही ।_*
📕 *_बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 46_*
✍🏻 *_मसअ़ला : हालते हैज़ मे औरत को नमाज़ मुआ़फ है! और उसकी कज़ा भी नही यानी पाक होने के बाद छूटी हुयी नमाज़ पढ़ना भी नही है। इसी तरह रमज़ान शरीफ के रोज़े हालते हैज़ मे न रखे लेकिन बाद में पाक होने के बाद जितने रोज़े छूटे थे वोह सब क़ज़ा रखने होंगे।_*
📕 *_फ़तावा-ए-मुस्तफ़विया, जिल्द नं 3, सफा नं 13, कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 46_*
✍🏻 *_मसअ़ला : यह जरूरी नही के मुद्दत मे हर वक्त खुन जारी रहे, बल्की अगर कुछ-कुछ वक्त आए जब भी हैज है!_*
📕 *_बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42_*
*_हालत ए हैज़ मे मुबाशरत (सोहबत) हराम है!_*
💎 *_आयत:_* _अल्लाह तआला इर्शाद फरमाता है..._
*_وَ یَسۡئَلُوۡنَکَ عَنِ الۡمَحِیۡضِ ؕ قُلۡ ہُوَ اَذًی ۙ فَاعۡتَزِلُوا النِّسَآءَ فِی الۡمَحِیۡضِ ۙ وَ لَا تَقۡرَبُوۡہُنَّ حَتّٰی یَطۡہُرۡنَ ۚ فَاِذَا تَطَہَّرۡنَ فَاۡتُوۡہُنَّ مِنۡ حَیۡثُ اَمَرَکُمُ اللّٰہُ ؕ اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ التَّوَّابِیۡنَ وَ یُحِبُّ الۡمُتَطَہِّرِیۡنَ_*
*_💎तर्जुमा : (ए महेबुब!) और तुम से पुछते है हैज का हुक्म! तुम फरमाओ के वह नापाकी है! तो औरतों से अलग रहो हैज़ के दिनों, और इनसे नज़दीकी न करो, जब तक पाक न हो लें, फिर जब पाक हो जाए तो इनके पास जाओ जहाँ से तुम्हे अल्लाह ने हुक़्म दिया। बेशक अल्लाह पसंद करता है बहुत तौबा करने वालो को, और पसंद रखता है सुथरो (पाक रहने वालो) को!_*
📕 *_तर्जुमा :- कन्जुल इमान सूर ए बखरा, आयत नं 222_*
👉 *_जब औरत हाइजा (हैज की हालत मे हो तो उससे जिमा करना सख्त गुनाहे कबीरा, नाजाइज व सख्त हराम है! इस बात का खयाल हमेशा रखे की जब कभी सोहबत का इरादा हो तो पहले औरत से दर्याफ्त कर ले, और औरत पर लाजीम है की अगर वह हाइजा है, तो मर्द को इस बात से आगाह कर दे! और मुबाशरत से बाज रखे! "और औरत पर वाजीब है के अगर वह हाइजा हो तो अपनी हालत से शौहर को वाकीफ कर दे ताकी शौहर मुबाशरत न करे वर्ना औरत सख्त गुनाहगार होंगी!_*
✍🏻 *_अक्सर मर्द शादी की पहली रात बेसब्री का मुजाहरा करते है, और बावजुद इसके के औरत हाइजा होती है जिमा कर बैठते! अगर औरत हाइजा हो तो उससे मुबाशरत करना जाइज नही, चाहे शादी की पहली ही रात क्यो न हो! इसलिये मर्द की जिम्मेदारी है के वह शादी की पहली रात से ही अपनी बिवी को इन मसाईल से आगाह कर दे!_*
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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