Wednesday, November 13, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 167)*_
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                 _*🕌इमामत का बयान👑*_

_*☝️अकीदा : - उनकी खिलाफत बर तरतीबे फजीलत है यानी जो अल्लाह के नज़दीक अफजल , आला . और अकरम था वही पहले खिलाफत पाता गया न कि अफ़ज़लीयत बर तरतीबे खिलाफ़त यानी अफ़ज़ल यह कि मुल्कदारी व मुल्क गीरी में ज्यादा सलीका । जैसा कि आजकल सुन्नी बनने वाले तफज़ीलिये कहते हैं । अगर यूँ होता तो हज़रते फारूक आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु सबसे अफजल होते क्यूँकि उनकी खिलाफ़त को यह कहा गया है कि ।*_

 _*📝तर्जमा : - " मैंने किसी मर्दे कवी को उनकी तरह अमल करते हुए नहीं देखा यहाँ तक कि लोग सैराब हो गये और पानी से करीब ऊँट बैठाने की जगह बनाई " ।*_
                 _*और हज़रते सिद्दीके अकबर रदियल्लाहु तआला अन्हु की ख़िलाफ़त को इस तरह फरमाया गया कि ।*_

_*📝तर्जमा : - " उनके पानी निकालने में कमजोरी रही अल्लाह तआला उनको बख़्शे ' ।*_
                     _*यह हदीस इस तरह है कि हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि मैंने हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सुना कि उन्होंने फरमाया कि मैंने ख्वाब में कुएँ पर एक डोल रखा देखा तो मैंने उससे जितना अल्लाह तआला ने चाहा पानी निकाला फिर हजरते अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहु तआला अन्हु ने वह डोल लिया । उन्होंने एक या दो भरे डोल निकाले । उनके निकालने में कमजोरी रही ।*_

 _*☝️अकीदा : - चारों खुलफाए राशिदीन के बाद बकीया अशरह मुबश्शेरह और हज़राते हसनैन और असहाबे बद्र और असहाबे बैअतुर्रिजवान के लिए अफजलियत है । और यह सब कतई जन्नती हैं । और तमाम सहाबए किराम रदियल्लाहु तआला अन्हुम अहले खैर और आदिल हैं । उनका भलाई के साथ ही जिक्र होना फर्ज है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 66*_

_*बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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