_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 168)*_
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_*🕌इमामत का बयान👑*_
_*☝️अकीदा : - किसी सहाबी के साथ बुरा अकीदा रखना बद्जहबी और गुमराही है । अगर कोई बुरी अकीदत रखे तो वह जहन्नम का मुस्ताहक है । क्यूँकि इनसे बुरी अकीदत रखना नबी अलैस्सिलाम के साथ बुग़ज़ है । ऐसा आदमी राफिजी है अगरचे चारों खुलफा को माने और अपने आपको सुन्नी कहे । हजरते अमीर मुआविया , उनके वालिदे माजिद हज़रते अबू सुफयान , उनकी वालिदा हज़रते हिन्दा हजरते सय्यदना अम्र इब्ने आस व हजरते मुगीरा इने शोअ्बा हज़रते अबू मूसा अशअरी यहाँ तक कि हजरते वहशी रदियल्लाहु तआला अन्हुम में से किसी की शान में गुस्ताखी तबर्रा है ।*_
_*हज़रते वहशी वह हैं जिन्होंने इस्लाम से पहले सय्यदुश्शुहदा हजरते हमज़ा रदियल्लाहु तआला अन्हु को शहीद किया और इस्लाम लाने के बाद बहुत बड़े ख़बीस मुसैलमा कज्जाब को जहन्नम के घाट उतारा वह खुद कहा करते थे मैंने बहुत अच्छे इन्सान को और बहुत बुरे इन्सान को क़त्ल किया । और सहाबियों की शान में बेअदबी और गुस्ताखी करने वाला ' राफ़िज़ी है । अब रही बात हज़रतें अबू बक्र और हज़रते उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा की तौहीन तो यह उनकी खिलाफत से ही इन्कार है और फुकहा के नज़दीक इनकी तौहीन या इनकी खिलाफत से इन्कार कुफ्र है ।*_
_*☝️अकीदा : - सहाबी का मर्तबा यह है कि कोई वली किसी मर्तबे का हो किसी सहाबी के रुतबे को नहीं पहुँच सकता । मसअला : - सहाबए किराम रदियल्लाहु तआला अन्हुम के आपसी जो वाकिआत हुये उनमें पड़ना हराम और सख्त हराम है । मुसलमानों को तो यह देखना चाहिए कि वह सब आकाये दो जहाँ सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर जान निसार करने वाले और सच्चे गुलाम हैं ।*_
_*☝️अकीदा : - तमाम सहाबए किराम आला और अदना ( और उनमें अदना कोई नहीं ) कुर्आन के इरशाद के मुताबिक़ सब जन्नती हैं । वह जहन्नम की भनक न सुनेंगे और हमेशा अपनी मनमानी मुरादों में रहेंगे । महशर की वह बड़ी घबराहट उन्हें गमगीन न करेगी । फ़रिश्ते उनका इस्तिकबाल करेंगे कि यह है वह दिन जिसका तुम से वादा था ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 67*_
_*बाकी अगले पोस्ट में*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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