_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 143)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
_*ईमान और कुफ्र का बयान*_
_*✍️नोट : - हाँ यह मुमकिन है कि हम शुबह की वजह से किसी को न मुसलमान कह न काफ़िर जैसे यजीद पलीद और इसमाईल देहलवी जैसे लोग । इन जैसे लोगों के बारे में हमारे उल्मा ने खामोशी का हुक्म फरमाया कि न तो , हम इन्हें मुसलमान कहेंगे न काफिर हमारे सामने अगर कोई मुसलमान कहे तो भी हम खामोश रहेंगे और काफिर कहे तो भी ख़ामोशी इख्तियार करेंगे । यह शक की वजह से है । यजीद के बारे में इमाम आजम इमाम अबू हनीफा रदियल्लाहु तआला अन्हु का यही हुक्म है कि शक की वजह से उसे न मुसलमान कहेंगे न काफ़िर बल्कि खामोशी इख्तियार तेयार करेंगे ।*_
_*👉मसअ्ला : - निफाक उस को कहते हैं कि ज़बान से इस्लाम का दावा करे और दिल में इस्लाम का इन्कार करे ऐसे शख्स को मुनाफिक कहते है । निफाक भी खालिस कुफ्र है और मुनाफिकों के लिये जहन्नम का सब से नीचे का दर्जा है । हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मुबारक ज़माने में इस तरह के कुछ लोग मुनाफिक के नाम से मशहूर हुए उनके छिपे हुए कुफ्र को कुर्आन ने बताया और गैब जानने वाले नबी सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम ने भी एक एक को पहचान कर फरमाया कियह मुनाफ़िक है ।*_
_*अब इस ज़माने में किसी खास आदमी के बारे में उस वक़्त तक यकीन के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि वह मुनाफिक है जब तक कि उसकी कोई बात या उसका कोई काम ईमान के खिलाफ न देख लिया जाये कयूँकि हमारे सामने जो अपने आप को मुसलमान कहे हम उसे मुसलमान समझेंगे । अलबत्ता निफाक के सिलसिले की एक कड़ी इस ज़माने में पाई जाती है कि बहुत से बदमज़हब अपने आप को एक तरफ तो मुसलमान कहते हैं और दूसरी तरफ़ दीन की कुछ ज़रूरी बातों का इन्कार भी करते हैं । ज़ाहिर है कि ऐसे लोग मुनाफिक और काफ़िर माने जायेंगे ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 49*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment