_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 146)*_
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_*कुछ फ़िरकों के बारे में*_
हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि
_*📝तर्जमा : - " यह उम्मत तिहत्तर फिर के हो जायेगी । एक फिरका जन्नती होगा बाकी सब जहन्नमी होंगे ।*_
" तो हुजूर के सहाबा ने पूछा कि
_*📝तर्जमा : - या रसूलल्लाह वह कौन लोग हैं जो जन्नती हैं ?*_
हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने जवाब इरशाद फरमाया कि
_*📝तर्जमा : - वह जिस पर मैं और मेरे सहाबा हैं , यानी सुन्नत की पैरवी करने वाले हैं ।*_
एक दूसरी रिवायत में यह भी है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि
_*📝तर्जमा : - वह जमाअत है । यानी मुसलमानों का बड़ा गिरोह जिसे ' सवादे आजम ' कहा गया है ।*_
और हुजूर ने यह भी फ़रमाया कि जो इस जमाअत से अलग हुआ वह जहन्नम में अलग हुआ । इसीलिए इस जन्नती और नजात पाने वाले फ़िरके का नाम ' अहले सुन्नत व जमाअत हुआ । और गुमराह फिरकों में से बहुत से फ़िरके हुए । कुछ ऐसे भी थे जिनका अब नाम निशान भी नहीं । और कुछ ऐसे हैं जो हिन्दुस्तान से बाहर के हैं । हम इस वक़्त सिर्फ हिन्दुस्तान के कुछ बातिल फिरकों के बारे में बतायेंगे ताकि हमारे मुसलमान भाई उन बदमज़हबों के चक्कर में पड़ कर धोखा न खायें । हदीस शरीफ़ में यह भी , आया है कि
_*📝तर्जमा : - " तुम अपने को उनसे ( बद मज़हबों से ) दूर रखो और उन्हें अपने से दूर करो कहीं वह तुम्हें गुमराह न कर दें और वह फ़ितने में डाल दें ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 50*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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