_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 149)*_
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_*( 1 ) कादयानी फिरका*_
_*16 . मसीले मूसा मूसा से बढ़ कर और मसील इब्ने मरयम इब्ने मरयम से बढ़ कर ( कशती पेज नं . 13 )*_
_*17 . खुदा ने मुझे खबर दी है कि मसीह मुहम्मदी मसीहे मूसवी से अफ़ज़ल है ( दाफेउल बला पेज नं . 20 )*_
_*18 . अब खुदा बतलाता है कि देखो मैं उसका सानी पैदा करूँगा जो उससे भी बेहतर है । जो गुलाम अहमद है यानी अहमद का गुलाम । इब्ने मरयम के ज़िक्र को छोड़ो उससे बेहतर गुलाम अहमद है ( इजालए औहाम पेज न 688 ) यह बातें शायराना नहीं बल्कि वाकई हैं । और अगर तजर्वे की रू से में खुदा की ताईद मसीह इब्ने मरयम से बढ़कर मेरे साथ न हो तो मैं झूठा हूँ । ( दाफिउल बला पेज नं . 20 )*_
_*19 . खुदा तो ब - पाबन्दी अपने वादों के हर चीज़ पर कादिर है लेकिन ऐसे शख्स को दोबारा दुनिया में नहीं ला सकता जिसके पहले फ़ितने ने ही दुनिया को तबाह कर दिया । ( दाफिज़ल बला पेज नं . 15 ) · 20 . मरयम का बेटा कौशल्या के बेटे से कुछ ज्यादत नहीं रखता । ( अनजाम आथम पेज नं . 41 )*_
_*21 . मुझे कसम है उस ज़ात की जिसके हाथ में मेरी जान है कि अगर मसीह इब्ने मरयम मेरे ज़माने में होता तो वह काम जो मैं कर सकता हूँ वह हरगिज़ न कर सकता और वह निशान जो मुझ से जाहिर हो रहे हैं वह हरगिज़ दिखला न सकता । ( कशतीए नूह पेज नं 56 )*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 53*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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