_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 148)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
_*( 1 ) कादयानी फिरका*_
_*9 . हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का चार परिन्दे के मोजिज़े का ज़िक्र जो कुर्आन में है वह भी । उनका मिसमरेज़म का अमल था । ( इजालए औहाम पेज नं . 553)*_
_*10 . एक बादशाह के वक़्त में चार सौ नबियों ने उसके फतह के बारे में पेशीनगोई की और वह झूटे निकले और बादशाह की शिकस्त हुई बल्कि वह उसी मैदान में मर गया । ( इजालये औहाम पेज नं . 629 )*_
_*11 . कुर्आन शरीफ़ में गन्दी गालियाँ भरी हैं और कुर्आन अज़ीम सख्त ज़बानी के तरीके को इस्तेमाल कर रहा है । ( इजालए औहाम पेज न . 26 , 28 )*_
_*12 . अपनी किताब ' बराहीने अहमदीया के बारे में लिखता है : - बराहीने अहमदीया खुदा का कलाम है । ( इजालए औहाम पेज नं . 533 )*_
_*13 . कामिल महदी न मूसा था न ईसा । ( अरबईन पेज न 2 , 13 ) इन उलूल अज़्म मुरसलीन का हादी होना तो दर किनार पूरे राह याफ्ता भी न माना अब ख़ास हज़रत ईसा अलैहिस्सलातु वस्सलाम की शान में जो गुस्तखियाँ की उन में से चन्द यह हैं ।*_
_*📝तर्जमा : - हमारा रब मसीह है मत कहो और देखो ऐ ईसाई मिशनरयो !*_
_*अब कि आज तुम में एक है जो उस मसीह से बढ़ कर है । ( मेआर पेज नं . 13 )*_
_*15 . खुदा ने इस उम्मत में से मसीहे मौऊद भेजा जो उस पहले मसीह से अपनी तमाम शान में बहुत बढ़ कर है । और उस ने दूसरे मसीह का नाम गुलाम अहमद रखा तो यह इशारा है कि ईसाईयों का मसीह कैसा खुदा है जो अहमद के अदना गुलाम से भी मुकाबला नहीं कर सकता यानी वह कैसा मसीह है जो अपने कुर्ब और शफाअत के मरतबे में अहमद के गुलाम से भी कमतर है । ( कशती पेज न 13 )*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 53*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment