_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 173)*_
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_*👑विलायत का बयान👑*_
_*विलायत अल्लाह तबारक व तआला से बन्दे के एक खास कुर्ब का नाम है । जो अल्लाह तआला अपने बर्गुज़ीदा बन्दों को अपने फज्ल और करम से अता करता है । इस सिलसिले में - मसले बताये जाते हैं ।*_
_*🌟मसअला : - विलायत ऐसी चीज़ नहीं कि आदमी बहुत ज्यादा मेहनत करके खुद हासिल कर ले बल्कि विलायत मौला की देन है । अलबत्ता आमाले हसना यानी अच्छे अमल अल्लाह तआला की इस देन के ज़रिये होते हैं । और कुछ लोगों को विलायत पहले ही मिल जाती है । मसअला : - विलायत बे - इल्म को नहीं मिलती । इल्म दो तरह के होते हैं । एक वह जो ज़ाहिरी तौर पर हासिल किया जाये । दूसरे वह उलूम जो विलायत के मरतबे पर पहुँचने से पहले ही अल्लाह तआला उस पर उलूम के दरवाजे खोल दे ।*_
_*☝🏻अकीदा : - तमाम अगले पिछले वलियों में से हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की उम्मत के औलिया सारे वलियों से अफजल हैं । और सरकार की उम्मत के सारे वलियों में अल्लाह की मारिफत और उससे कुरबत चारों खुलफा की सब से ज़्यादा है । और उनमें अफ़ज़लीयत की वही तरतीब है जिस तरतीब से वे खलीफा हैं यानी सब से ज्यादा कुरबत हज़रते अबू बक्र रदियल्लाहु तआला अन्हु को फ़िर हज़रते फारुके आजम रदियल्लाहु तआला अन्हु को फिर हज़रते उसमान गनी रदियल्लाह तआला अन्हु को और फ़िर मौला अली मुशकिल कुशा रदियल्लाहु तआला अन्हु को है । हज़रते अली की विलायत के कमालात मुसल्लम हैं इसीलिए उनके बाद सारे वलियों ने उन्हीं के घर से नेमत पाई । उन्हीं के मुहताज थे , हैं और रहेंगे ।*_
_*☝🏻अक़ीदा : - तरीक़त शरीअत के मनाफ़ी नहीं है बल्कि तरीकत शरीअत का बातिनी हिस्सा है । कुछ जाहिल और बने हुए सूफी , जो यह कह दिया करते हैं कि तरीकत और है शरीअत और है यह महज़ गुमराही है और इस बातिल ख्याल की वजह से अपने आप को शरीअत से ज़्यादा समझना खुला हुआ कुफ्र और इलहाद है ।*_
_*बहारे शरिअत हिस्सा 1, सफा 70*_
_*🤲 तालिबे दुआँ क़मर रज़ा ह़नफ़ी*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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