Wednesday, November 13, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 157)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

 _*3 . वहाबी फ़िरका*_

_*📕( 6 ) तकवीयतुल ईमान सफा 11 में है कि*_

_*" गिर्द व पेश के जंगले का अदब करना यानी वहाँ शिकार न करना दरख्त न काटना यह काम अल्लाह ने अपनी इबादत के लिये बनाये हैं फिर जो कोई किसी पैगम्बर या भूत के मकानों के गिर्द व पेश के जंगल का अदब करे उस पर शिर्क साबित है ख्वाह यूँ समझे कि यह आप ही इस ताजीम के लाइक या यूँ कि उनकी इस ताजीम से अल्लाह खुश होता है हर तरह शिर्क है । " कई सही हदीसों में इरशाद फरमाया कि इबराहीम  ने मक्का को हरम बनाया और मैंने मदीने को हरम किया । उसके बबूल के दरख्त न काटे जायें और उसका शिकार न किया जाये । मुसलमानों !*_

 _*ईमान से देखना कि उस शिर्क फरोश का शिर्क कहाँ तक पहुँचता है ?तुमने देखा कि इस गुस्ताख ने नबी सल्लल्लाह तआला अलैहि वसल्लम पर क्या हुक्म जड़ा ।*_

 _*📕( 7 ) तकवीयतुल ईमान सफा न . 8 में है कि*_

_*"पैगम्बरे खुदा के वक़्त में काफिर भी अपने बुतों को अल्लाह के बराबर नहीं जानते थे बल्कि उसी का मखलूक और उसका बन्दा समझते थे और उनको उसके मुकाबिल की ताकत साबित नहीं करते थे मगर यही पुकारना और मन्नत माननी और नजर व नियाज़ करनी और उनको अपना वकील व सिफारिशी समझना यही उनका कुफ्र व शिर्क था सो जो कोई किसी से यह मुआमला करेगा कि उसको अल्लाह का बन्दा व मखलूक ही समझे सो अबू जहल और वह शिर्क मे बराबर हैं ।*_

 _*" यानी जो नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शफाअत माने कि हुजूर अल्लाह तआला के दरबार में हमारी सिफारिश फरमायेंगे तो मआजल्लाह उसके नजदीक वह अबू जहल के बराबर मुशरिक है । इसमें शफाअत के मसले का सिर्फ इन्कार ही नहीं बल्कि उसको शिर्क साबित किया और तमाम मुसलमानों सहाबा , ताबेईन . दीन के इमाम और औलियाए सालेहीन सब को मुशरिक और अबू जहल बना दिया ।*_

 _*📕( 8 ) तकवीयतुल ईमान सफा न . 58 में है कि :*_

 _*" कोइ शख्स कहे फलाने दरख्त में कितने पत्ते हैं या आसमान में कितने तारे हैं तो उसके जवाब में यह न कहे कि अल्लाह और रसूल जानें क्योंकि गैब की बात अल्लाह ही जानता है रसूल को क्या खबर ? " सुबहानल्लाह खुदाई इसी काम का नाम रह गया कि किसी पेड़ के पत्ते की तादाद जान ली जाये*_

 _*📕( 9 ) तकवीयतुल ईमान सफा न . 7 में यह है कि : -*_

 _*अल्लाह साहब ने किसी को आलम में तसर्रुफ करने की कुदरत नहीं दी इसमें अम्बियाये किराम के मोजिज़ात और औलियाए इजाम की करामत का साफ इन्कार है ।*_

 _*👑अल्लाह फरमाता है कि*_

_*📝तर्जमा : - “ कसम फ़रिश्तों की जो कामों की तदबीर करते हैं ।*_

 _*कुर्आन तो यह कहता है । लेकिन तकवीयतुल ईमान वाला कुर्आन का साफ इन्कार कर रहा है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 59/60*_

_*बाकि अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

No comments:

Post a Comment

Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...