_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 062 📕*_
―――――――――――――――――――――
*_मिया बीवी के हुकुक_*
*_📜आयत : अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फरमाता है.._*
*_هُنَّ لِبَاسٌ لَكُمْ وَأَنْتُمْ لِبَاسٌ لَهُنَّ_*
*_📝तर्जुमा : वह तुम्हारी लिबास है और तुम उनके लिबास!_*
📕 *_[तर्जुमा :- कन्जुल ईमान शरीफ, पारा 2, सूरए बक़र, आयत नं 187,]_*
👉🏻 *_इस आयते करीमा मे अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने क्या ही बेहतरीन मिसाल के जरीए मियाँ बीवी के एक दूसरे पर हुकूक़ के मुत्अ़ल्लिक़ अपने बंदो को समझाया है।_*
💫 *_लिबास जिस्म के ऐबो छुपाता है! इसी तरह बीवी अपने शौहर के ऐबो को और शौहर अपनी बीवी के ऐबो को छुपाने वाले बने! एक मुहज्जब इंसान बगैर लिबास के नहीं रह सकता, इसी तरह तमद्दुन याफ्ता मर्द या औरत बगैर निकाह के नहीं रह सकते! लिबास को मैला होने पर धोया जाता है, इसी तरह शौहर और बीवी गम व परेशानी के मौके पर एक दुसरे का मुकम्मल सहारा बने! और गमो को धो डाले! लिबास मे अगर कोई मामुली सा दाग लग भी जाए तो लिबास फैंका नही जाता बल्की उसे धोकर साफ कर लिया जाता है, *इसी तरह मियॉ बीवी एक दुसरे की छोटी मोटी गल्तीयो को माफ करे और गल्तीयो के दाग को माफी के पानी से धो कर साफ कर ले!_*
_*[शौहर के हुकुक़]*_
―――――――――――――――――――――
👉🏻 *_बीवी का फ़र्ज़ है कि अपने शौहर की इज़्ज़त का ख्याल रखे, और उसके अ़दब व एहतराम मे किसी किस्म की कोताही न बरते! और जुबान से ऐसी कोई बात न निकाले जो शौहर की शान के ख़िलाफ़ हो।_*
📚 *_हदीस : हज़रत आएशा सिद्दीक़ा व हज़रत अबू ह़ुरैरा रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फरमाया........_*
💫 *_"अगर मै किसी को किसी के लिए सज्दे का हुक़्म देता तो औरतों को हुक़्म देता कि अपने शौहर को सज्दा करे"।_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 788, हदीस नं 1158, सफा नं 594,]_*
👉🏻 *_इस हदीस शरीफ से दो बाते मालूम हुई कि खुदा के सिवा किसी के लिये सज्दा करना जाइज नही, और दूसरी बात यह के शौहर का दर्जा इतना बुलंद है कि अगर मख़्लूक में अगर किसी के लिए सज्दा करना जाइज़ होता तो औरतों को हुक़्म दिया जाता कि वह अपने शौहर को सज्दा करे।_*
📚 *_हदीस : एक शख्स ने हुज़ूर ए अक्रम ﷺ से दर्याफ्त किया "बेहतरीन औरत की पहचान क्या है"? हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फरमाया........_*
*_"जो औरत अपने शौहर की इताअ़त व फ़रमाबरदारी करे"।_*
📕 *_[नसाई शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 364,]_*
👉🏻 *_औरत का फ़र्ज़ है कि अपने शौहर की ख़िदमत से किसी किस्म की कोताही न करे! बल्कि जिन्दगी के हर मोड पर निहायत ही खन्दा पेशानी से शौहर की ख़िदमत करके अपनी वफ़ादारी का अ़मली सुबूत दे। यहाँ तक की अगर शौहर अपनी औरत को किसी ऐसे काम का हुक़्म दे जो उसे बेकार व फ़ुजूल महसुस हो तब भी औरत का फ़र्ज़ है कि शौहर के हुक़्म की तामील करे।_*
📚 *_हदीस : उम्मुल मोमीनीन हज़रत मैमूना रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजुर ﷺ ने इर्शाद फरमाया....._*
💫 *_"मेरी उम्मत में सब से बेहतर वह औरत है जो अपने शौहर के साथ अच्छा सुलूक करती है! ऐैसी औरत को ऐैसे एक हज़ार शहीदों का सवाब मिलता है जो खुदा की राह में सब्र के साथ शहीद हुए, उन औरतों में से हर औरत जन्नत की हूरों पर ऐैसी फ़जीलत रखती है जैसे मुझे (यानी मुहम्मद ﷺ) को तुम पर फजीलत हासील है!"_*
📕 *_[गुनीयातुत्तालिबीन, बाब नं 5, सफा नं 113,]_*
📚 *_हदीस : हजरत सय्यदना इमाम हसन रदी अल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है...... हुजुर ﷺ ने इर्शाद फर्माया....._*
💫 *_"कोई औरत अपने खावींद के घर से भाग निकले तो उसकी नमाज कुबुल नही होती! और औरत जब नमाज पढे मगर अपने खावींद के लिये दुआ न करे तो उसकी दुआ मर्दुद होती है!"_*
📕 *_[तंबीहुल- गाफेलीन सफा नं 541]_*
✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*
📮 *_जारी है..._*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment