Wednesday, November 13, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 064 📕*_
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                     _*बीवी के हुकुक़*_ 

📚 *_हदीस : "तुम मे से वह बेहतर है जो अपनी बीवीयों के साथ बेहतर है और में अपनी बीवीयों के साथ तुम सब से ज़्यादा बेहतर हूँ"।_*

📕 *_[इब्ने माज़ा, जिल्द नं 1, हदीस नं 2047, सफा नं 551, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 595,]_*

👉🏻 *_शौहर को चाहिए कि अपनी बीवी के साथ (बर्ताव मे) खुश मिज़ाज़ी, नर्मी, और मेहरबानी से पेश आएे और अपने प्यारे नबी ﷺ  के फरमान  पर अ़मल करे ।_*
   
🔥 *_लेकिन आज कल आम तौर पर  मौजुदा दौर मे यह देखा जा रहा है कि मर्द हज़रात बाहर तो चूहा बने फिरते है! लेकिन घर आते ही शेर की तरह दहाडना शुरू कर देते है! और बे वजह बीवी पर रौब झाड़ते रहते है! बीवी से हमेशा मुहब्बत का सुलुक रखे। हाँ अगर वह  नाफ़र्मानी करे, या जाइज़ हुक़्म न माने तो उस पर नाराजगी का इजहार  कर सकते हैं।_*

💫 *_हुज़ूर सैय्यदना ग़ौसे आ़ज़म "गुन्यतुत्तालिबीन" मे और इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली  [रदि अल्लाहु तआला अन्हुम] "कीमीया-ए-सआ़दत" में फरमाते है.........._*

💫 *_"अगर बीवी शौहर की इताअ़त न करे तो शौहर नर्मी व मुहब्बत और समझा बुझा कर अपनी इताअ़त करवाए। अगर इस के बाद भी न माने   तो शौहर गुस्सा करे और उसे ड़ाँट ड़पट कर समझाए! अगर फिर भी न माने तो सोने के वक्त़ उस की तरफ पीठ करके सोए। अगर  उस पर भी न माने तो फिर तीन रातें उससे अलग सोए। अगर इन तमाम बातो से भी न माने और अपनी हटधर्मी पर अड़ी रहे तो उसे मारे! मगर मुँह पर न मारे, और न ही इतने जोर से मारे की जख्मी हो जाए। अगर इन सब से भी फ़ायदा न हो तो फिर एक महीने तक नाराज रहे फिर भी कुछ बात न बने तो अब एक तलाक़ दे_*

📕 *_[गुन्यतुत्तालिबीन, सफा नं 118, कीम्या-ए-सआ़दत, सफा नं 265,]_*

👉🏻 *_अगर किसी शख्स की दो बीवीयां या उससे ज़्यादा हो तो, सब के साथ बराबरी का सुलूक रखे! खाने, पीने, औढने, कपडे वगै़रह सब में इन्साफ़ से काम ले, हर बीवी के घर बराबर बराबर वक्त़ गुज़ारे और उसके लिए उनकी बारी मुक़र्रर कर ले।_*

📚 *_हदीस : हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है कि रसूले अकरम ﷺ ने इर्शाद फरमाया........._*

💫          *_"जब किसी के निकाह में दो बीवीयां हो और वह एक ही की तरफ माइल (चाहना) हो तो वह क़ियामत के दिन जब आऐगा तो उस का आधा धड़ गिरा हुआ होंगा"।_*

📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1,  हदीस नं 1137, सफा नं 584, इब्ने माज़ा,  जिल्द नं 1, सफा नं 549,]_*

✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

📮 *_जारी है..._*
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