_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 068 📕*_
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*_बद निगाही और बेपर्दगी_*
💫 *_औरत का जेवर होने के बावजुद बगैर जेवर रहना मकरुह है की मर्दो से मुशाबहत है! हदीस मे है रसुलुल्लाह ﷺ ने मौला अली कर्रमल्लाहु वज्हु से फर्माया "एे अली अपनी घर की औरतो को हुक्म दो की बगैर गहने नमाज न पढें!"_*
💫 *_उम्मुल मोमीनीन हजरत आइशा सिद्दीका रदि अल्लाहु तआला अन्हा औरत का बेजेवर नमाज पढना मकरूह जानती और फर्माती है की... " कुछ न पाए तो एक डोरा ही गले मे बांध ले!"_*
📕 *_[इर्फाने शरीयत जिल्द 1, मस्अला नं 75, सफ 19-20]_*
👉🏻 *_इस्लाम ने औरतो को सजने संवरने से कभी मना नहीं किया है, बल्की सजने, संवरने, सिंगार करने का हुक्म दिया है! यहॉ तक की कुवांरी लडकियो को जेवर व लिबास से सजाए रखना की उनके रिश्ते आए यह सुन्नत है_*
👉🏻 *_गर्ज की इस्लाम औरतो के फैशन या सिंगार के खिलाफ नही, बल्की वह बेपर्दगी व बेहुदगी के खिलाफ है! ऐ मेरी प्यारी इस्लामी बहनो! याद रखो इस्लाम तुम्हे फैशन करने , सजने संवरने से नही रोकता बल्की वह सिर्फ और सिर्फ यह चाहता है की अगर तुम शादी-शुदा हो तो अपने शौहर के लिये सिंगार करो की उन्ही का तुम पर हक है! *इस्लाम तुम्हारी इज्जत व आब्रु की हिफाजत और फलाह के लिये तुम से यह मुतालबा करता है की सडको, बाजारो, बागो, मेले, और सिनेमा घरो मे इठलाती बल खाती फिर कर अपने हुस्न को नुमाईश का जरीया न बनाओ!_*
📚| *_हदीस :_* _सुनो *रसूले करीम ﷺ* क्या इर्शाद फर्माते है_
💫 *_"और, औरत है यानी छुपाने की चीज़ है, जब वह बाहर निकलती है, तो उसे शैतान झाँक कर देखता है_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 796, हदीस नं 1173, सफा नं 600,]_*
👉🏻 *_बद निगाही मे मर्द और औरत दोनो कुसूरवार है और गुनाह मे बराबर के हकदार है! मर्द इस तरह कि वह उनसे बद निगाही करते है, उन्हें छेड़ते है! और औरतें इस तरह कि वह बेपर्दा सड़को पर खुले आम निकलती है ताकि मर्द उसे देखे ।_*
📚 *_हदीस :_* _हुजुर ﷺ फर्माते है.........._
💫 *_"जिस गै़र औरत को जान बूझ कर देखा जाए, और जो औरतें अपने को जान बूझ कर गै़र मर्दों को दिखाए, उस मर्द और औरत पर अल्लाह की लानत"।_*
📕 *_[मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 2991, सफा नं 77,]_*
📚 _*हदीस : हज़रत मैमूना बिन्ते साअ़द [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] रिवायत करती है कि हुज़ूरे अकरम ﷺ ने इर्शाद फर्माया.....*_
✨ *_"अपने शौहर के सिवा दूसरों के लिए ज़ीनत के साथ दामन घसिटते हुए (इतराकर) चलने वाली औरत क़ियामत के अँधेरो की तरह है जिसमें कोई रौशनी नहीं"।_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 791, हदीस नं 116, सफा नं 597,]_*
📚 *_हदीस : रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फर्माया....._*
💫 *_(जब मर्द गै़र औरत को देखता है और औरत गै़र मर्द को देखती है) दोनों की आँखें जिना करती है।_*
📕 *_[कशफ़ुल महजूब, सफा नं 568,]_*
📚 *_हदीस :_* _फर्माया हमारे *आक़ा मदनी ﷺ* ने........_
💫 *_"मर्द का गै़र औरतों को, और औरतो का गै़र मर्दों को देखना आँखों का ज़िना है, पैरों से उस की तरफ चलना पैरों का ज़िना है, कानो से उस की बात सुनना कानो कानो का ज़िना है, ज़बान से उस के साथ बात करना ज़बान का ज़िना है, दिल में ना जाइज़ मिलाप की तमन्ना करना दिल का ज़िना है, हाथों से उसे छूना हाथों का ज़िना है"।_*
📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 2 बाब नं 121, हदीस नं 385, सफा नं 147,]_*
📚 *_हदीस :_* _फर्माते है हमारे *मदनी आक़ा ﷺ*_
💫 *_"जब गै़र मर्द और गै़र औरत तन्हाई में किसी जगह एक साथ होते है तो उनमे तीसरा शैतान होता है।_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 794, हदीस नं 1171, सफा नं 599,]_*
✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*
📮 *_जारी है..._*
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