_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 069 📕*_
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*_बद निगाही और बेपर्दगी_*
📚 *_हदीस : हजरत उक्बा बिन आमीर रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है.. सैय्यदे आलम ﷺ ने इर्शाद फर्माया......_*
💫 *_"तन्हा गै़र औरत के पास जाने से परहेज़ करो!" एक सहाबी ने अर्ज किया..... "या रसूलुल्लाह! देवर के बारे में क्या इर्शाद है"? फर्माया.... "देवर तो मौत है"!_*
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 141, हदीस नं 216, सफा नं 108, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 794, हदीस नं 1171, सफा नं 599, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 2968, सफा नं 73,]_*
👉🏻 *_अब आप खुद ही अंदाज़ा लगाईये जब देवर के सामने भी भाभी को आने से मना किया गया यहाँ तक कि उसे मौत की मिस्ल बताया गया तो फिर बताईये दोस्तो की बिवीयों को मुंह बोली भाभी बनाकर उनसे हंसी मजाक करना, शादि ब्याह में, और दीगर मुक़ामात पर गै़र मर्दों का औरतों के सामने आना और औरतों का गै़र महरम मर्दों के सामने बे हिजाब आना, बातचीत करना और यही नहीं बल्की उन्हे छुना, उन से हंसी मजाक करना किस क़द्र ख़तरनाक है!_*
👉🏻 *_लिहाजा मर्दो पर जरूरी है कि वह अपनी औरतो को और इसी तरह से मॉ-बाप अपनी जवान कुंवारी लड़कियों को पर्दा करवाए! और अपने दोस्तो के सामने भी बेहिजाब आने से मना करे! और बिला जरूरत बाजारों, तफ्रीगाहो (Picnic Spot) और सिनेमा हॉलो मे जाने से रोके।_*
📚 *_हदीस : हज़रते उम्मे सलमा [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] फर्माती है...._*
✨ *_"एक दिन एक नाबीना सहाबी हुजुर ﷺ से मिलने आए मै और हुजुर ﷺ की दूसरी बीवीयां वही बैठी थी! हुजुर ﷺ फर्माया...."पर्दा करो"....फर्माती है हम ने अर्ज किया........."या रसूलुल्लाह! यह तो देख नही सकते?" फर्माया....... "तुम तो नाबीना नही हो तुम तो देख सकती हो"।_*
📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 258, हदीस नं 711, सफा नं 246, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 279,]_*
👉🏻 *_अब जरा अंदाजा लगाइए जब नाबीना से भी हुजुर ﷺ ने अपनी अज्वाजे मुतह्हरात जिनके बारे मे कुरआने करीम का ऐलान है की नबी की बीवीयॉं तमाम मुसलमानो की मॉंए है, उन से भी पर्दा करवाया तो क्या आज की औरतो को पर्दा करना जरुरी न होंगा⁉ यकीनन जरूरी होंगा! और अगर औरते उसके लिये तैयार नहीं तो जहन्नम के शदीद नाकाबील ए बर्दाश्त अजाब के लिये तैयार रहे!_*
✍🏻 *_इमाम ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] ने क्या खूब फर्माया है......._*
👉🏻 *_"मर्द अपनी औरतों को घर की छत और दरवाज़े पर जाने न दे ताकि वह गै़र मर्दों को और गै़र मर्द उसे न देखे, क्यो की बुराइयो की इब्तीदा घर की खिड़की व दरवाजे़ से शुरु होती है, औरतो को खिडकी, दरवाजे से मर्दों का तमाशा देखने की इज़ाज़त न दे कि तमाम आफ़ते आँख से पैदा होती है घर में बैठे बैठे नही पैदा होती!"_*
📕 *_[कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 263,]_*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत जरीर बिन अब्दुल्लाह रदि अल्लाहु तआला अन्हु का बयान है............_
💫 _"मैंने *रसूलुल्लाह ﷺ* से अचानक नज़र पड़ जाने के मुतअल्लिक़ पूछा तो फ़र्माया कि......"अपनी नजर फेर लिया करो"।_
📕 *_[मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 2970, सफा नं 73,]_*
📚 *_हदीस :_* _*हमारे प्यारे आका हुजुर ﷺ* ने इर्शाद फर्माया........_
💎 *_"जब मर्द के सामने कोई अजनबी औरत आती है तो शैतान की सूरत में आती है! जब तुम मे से कोई किसी अजनबी औरत को देखे और वह उसे अच्छी मालूम हो तो चाहिये कि अपनी बीवी से सोहबत कर ले (ताकि गुनाह से बच जाए) तुम्हारी बीवी के पास भी वही चीज़ मौजूद है जो उस अजनबी औरत के पास मौजूद है! (अगर कोई कुंवारा हो तो तो वह रोज़ा रख ले की रोज़ा गुनाह को रोकने वाला और शहवत को मिटाने वाला है!)_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 594, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 73,]_*
✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*
📮 *_जारी है..._*
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