_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 90)*_
―――――――――――――――――――――
_*🩸हैज़ के मसाइल*_
_*👉🏻शुरू के तीन दिन में नमाज़ छोड़ दे फिर अट्ठारह दिन तक हर वक़्त वुजू कर के नमाज़ पढ़े जिन में पन्द्रह पहले तो यकीनी तुहर ( पाकी के ) हैं और तीन दिन पिछले मशकूक ( शक वाले ) फिर हमेशा हर वक़्त गुस्ल कर के नमाज पढ़े । और अगर यह याद है कि महीने में एक ही बार हैज आया भी और यह कि वह तीन दिन था मगर यह याद नहीं कि वह क्या तारीखें थीं तो हर माह के इब्तिदाइ तीन दिनों में वुजू कर के नमाज़ पढ़े और सत्ताईस दिन तक हर वक़्त गुस्ल करे । यूँही चार दिन या पाँच दिन हैज़ के होना याद हों तो उन चार पाँच दिनों में वुजू करे बाकी दिनों में गुस्ल और अगर यह मालूम है कि आखिर महीने में हैज़ आता था और तारीखें भूल गई तो सत्ताईस दिन वुजू कर के नमाज़ पढ़े और तीन दिन न पढ़े फिर महीना खत्म होने पर एक बार नहा ले , और अगर यह मालूम है कि इक्कीस से शुरू होता था और यह याद नहीं कि कितने दिन तक आता था तो बीस के बाद तीन दिन तक नमाज़ छोड़ दे । उसके सात दिन जो रह गये उनमें हर वक़्त गुस्ल कर के नमाज़ पढ़े और अगर यह याद है कि फुलाँ पाँच तारीखों में तीन दिन आया था मगर यह याद नहीं कि उन पाँच में वह कौन कौन दिन हैं तो दो पहले दिनों में वुजू कर के नमाज पढ़े और एक दिन बीच का छोड़ दे और उसके बाद के दो दिनों में हर वक़्त गुस्ल कर के पढ़ें , और चार दिन में तीन दिन हैं तो पहले दिन वुजू कर के पढ़े और चौथे दिन हर वक़्त में गुस्ल कर के नमाज़ पढ़े और बीच के दो दिनों में न पढ़े और अगर छ : दिनों में तीन दिन हों तो पहले तीन दिनों में वुजू कर के पढ़े पिछले तीन दिनों में हर वक़्त में गुस्ल कर के नमाज़ पढ़े । और अगर सात या आठ आ नौ या दस दिन में तीन दिन हों तो पहले तीन दिनों में वुजू और बाकी दिनों में हर वक़्त गुस्ल कर के नमाज पढ़ें ।*_
_*✨खुलासा यह कि जिन दिनों हैज़ का यकीन हो और ठीक से यह याद न हो कि उनमें वह कौन से दिन हैं तो यह देखना चाहिये कि यह दिन हैज़ के दिनों से दूने हैं या दूने से कम या ज्यादा अगर दूने से कम हों तो उन में जो दिन यकीनी हैज़ होने के हों उन में नमाज न पढ़े और जिनके हैज होने न होने दोनों का इहतिमाल हो ( शुबह ) हो वह अगर अव्वल के हों तो उनमें वुजू कर के नमाज पढ़े और अगर आख़िर के हों तो हर वक़्त में गुस्ल कर के नमाज़ पढ़े और अगर दूने या दूने से ज्यादा हों तो हैज के दिनों के बराबर शुरू के दिनों में वुजू कर के नमाज पढ़े फिर हर वक़्त में गुस्ल कर के नमाज पढ़ें और अगर याद न हों कि कितने दिन हैज़ के थे और कितने दिन पाकी के न यह कि महीने के शुरू के दस दिनों में था या बीच के दस दिन या आखिर के दस दिनों में तो दिल में सोचे जिस तरफ दिल जमे उस पर पाबन्दी करे , और अगर किसी बात पर दिल नहीं जमता तो हर नमाज के लिये गुस्ल करे , और फ़र्ज , व वाजिब और सुन्नते मुअक्कदा पढ़े मुस्तहब और नफ्ल न पढ़े और फर्ज़ रोज़े रखे नफ़्ल रोज़े न रखे और उनके अलावा और जितनी बातें हैज़ वाली को जाइज़ नहीं उसको भी नाजाइज़ हैं जैसे कुर्आन पढ़ना या छूना मस्जिद में जाना और सजदए तिलावत वगैरा ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 70*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment