_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 89)*_
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_*🩸हैज़ के मसाइल*_
_*💫मसअला : - जिस औरत को पहली बार खून आया और उसका सिलसिला महीनों या बर्सौं बराबर जारी रहा कि बीच में पन्द्रह दिन के लिये भी न रुका तो जिस दिन में खून आना शुरू हुआ उस रोज़ से दस दिन तक हैज़ और बीस दिन इस्तिहाजा के समझे और जब तक खून जारी रहे यही काइदा बरते ।*_
_*💫मसअला : - और अगर उससे पहले हैज़ आ चुका है तो उससे पहले जितने दिन हैज के थे हर तीस दिन में उतने दिन हैज के समझे बाकी जो दिन बचे इस्तिहाजा है ।*_
_*💫मसअला : - जिस औरत को उम्र भर खून आया ही नहीं या आया मगर तीन दिन से कम आया तो उम्र भर वह पाक रही और अगर एक बार तीन दिन रात खून आया फिर कभी न आया तो वह सिर्फ तीन दिन रात हैज के हैं बाकी हमेशा के लिए पाक ।*_
_*💫मसअला : - जिस औरत को दस दिन खून आया उसके बाद साल भर तक पाक रही फिर बराबर खून जारी रहा तो वह उस ज़माने में नमाज़ रोज़े के लिये हर महीने में दस दिन हैज के समझे और बीस दिन इस्तिहाज़ा के ।*_
_*💫मसअला : - किसी औरत को एक बार हैज़ आया उसके बाद कम से कम पन्द्रह दिन तक पाक रही फिर खून बराबर जारी रहा और यह याद नहीं के पहले कितने दिन हैज़ के थे और कितने पाकी के मगर यह याद है कि महीने में एक ही बार हैज़ आया था तो इस बार जब से खून शुरू हुआ तीन दिन तक नमाज़ छोड़ दे फिर सात दिन तक हर नमाज़ के वक़्त में गुस्ल करे और नमाज़ पढ़े और इन दस दिनों में शौहर के पास न जाये । फिर बीस दिन तक हर नमाज़ के वक़्त ताज़ा वुजू कर के नमाज पढ़े और दूसरे महीने में उन्नीस दिन वुजू कर के नमाज़ पढ़े और उन बीस या उन्नीस दिनों में शौहर उसके पास जा सकता है , और जो यह भी याद न हो कि महीने में एक बार आया था या दो बार तो शुरू के तीन दिन में नमाज़ न पढ़े फिर सात दिन तक हर वक़्त में गुस्ल कर के नमाज़ पढ़े फिर आठ दिन तक हर वक़्त में वुजू कर के नमाज़ पढ़े और सिर्फ उन आठ दिनों में शौहर उसके पास जा सकता है और उन आठ दिन के बाद भी तीन दिन तक हर वक़्त में वुजू कर के । नमाज़ पढ़े फिर सात दिन तक गुस्ल कर के और उसके बाद आठ दिन तक वुजू कर के नमाज़ पढ़े और यही सिलसिला हमेशा जारी रखे और अगर तहारत के दिन याद हैं जैसे पन्द्रह दिन थे और बाकी कोई बात याद नहीं तो शुरू के तीन दिन तक नमाज़ न पढ़े फिर सात दिन तक हर वक़्त गुस्ल कर के ' नमाज़ पढ़े फिर आठ दिन वुजू कर के नमाज़ पढ़े और उसके बाद फिर तीन दिन और वुजू कर के नमाज पढ़े फिर चौदह दिन तक हर वक़्त गुस्ल कर के नमाज पढ़े फिर एक दिन वुजू हर वक़्त में करे और नमाज़ पढ़े फिर हमेशा के लिए जब तक खून आता रहे हर वक़्त गुस्ल करे , और अगर हैज के दिन याद हैं जैसे तीन दिन थे और तहारत के दिन याद न हों तो ?*_
_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 69*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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