_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 88)*_
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_*🩸हैज़ के मसाइल*_
_*💫मसअला : - यह जरूरी नहीं कि मुद्दत में हर वक़्त खून जारी रहे तभी हैज़ हो बल्कि अगर किसी वक़्त भी आये तब भी हैज है ।*_
_*💫मसअला : - कम से कम नौ बरस की उम्र से हैज शुरू होगा और आखिरी उम्र हैज़ आने की 55 साल है इस उम्र वाली औरत को आइसा और इस उम्र को सिने - अयास कहते हैं ।*_
_*💫मसअला : - नौ बरस की उम्र से पहले जो खून आये इस्तिहाज़ा है यूँ ही पचपन साल की उम्र के बाद जो खून आये इस्तिहाज़ा है , हाँ पिछली सूरत में अगर खालिस खून आये या जैसा पहले आता था उसी रंग का आया तो हैज़ है ।*_
_*💫मसअला : - हमल वाली के जो खून आया इस्तिहाज़ा है , ऐसे ही बच्चा होते वक़्त जो खून आया और अभी आधे से ज्यादा बच्चा बाहर नहीं निकला , वह इस्तिहाज़ा है ।*_
_*💫मसअला : - दो हैज़ों के बीच कम से कम पूरे पन्द्रह दिन का फासिला ज़रूरी है ऐसे ही निफास और हैज़ के दरमियान भी पन्द्रह दिन का फ़ासिला ज़रूरी है तो अगर निफास खत्म होने के बाद पन्द्रह दिन पूरे न हुये थे कि खून आया तो यह इस्तिहाज़ा है ।*_
_*💫मसअला : - हैज़ उस वक़्त से शुमार किया जायेगा कि खून फर्ज ( शर्मगाह ) से बाहर आ गया तो अगर कोई कपड़ा रख लिया है जिसकी वजह से फर्ज से बाहर नहीं आया और अन्दर ही रुका रहा तो जब तक कपड़ा न निकालेगी वह हैज वाली न होगी , नमाजें पढ़ेगी और रोज़ा रखेगी ।*_
_*💫मसअला : - हैज के छह रंग है : - 1 . काला 2 . पीला 3 . लाल 4 . हरा 5 . गदला 6 . मटीला और सफेद रंग की रतूबत हैज़ नहीं ।*_
_*💫मसला : - दस दिन के अन्दर रतूबत में ज़रा भी मैलापन है तो वह हैज़ है और दस दिन रात के बाद भी मैलापन बाकी है तो आदत वाली के लिये जो दिन आदत के हैं हैज़ हैं और आदत से बाद वाले इस्तिहाज़ा और अगर कुछ आदत नहीं तो दस दिन रात तक हैज है और बाकी इस्तिहाजा है ।*_
_*💫मसअला : - गद्दी जब तर थी तो उसमें जर्दी ( पीलापन ) या मैलापन था और सूख जाने के बाद सफेद हो गई तो हैज़ की मुद्दत में हैज़ ही है और अगर जब देखा था सफेद थी सूख कर पीली हो गई तो यह हैज नहीं ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 68/69*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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