_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 97)*_
―――――――――――――――――――――
_*🩸हैज़ व निफास के मुतअल्लिक अहकाम*_
_*💫मसअला : - अगर पूरे दस दिन पर पाक हुई और इतना वक़्त रात का बाकी नहीं कि एक बार अल्लाहु अकबर कह ले तो उस दिन का रोज़ा उस पर वाजिब है और जो कम में पाक हुई और इतना वक़्त है कि सुबह सादिक होने से पहले नहा कर कपड़े पहन कर एक बार अल्लाहु अकबर कह सकती है तो रोज़ा फर्ज है अगर नहा ले तो बेहतर है नहीं तो बे नहाये नियत कर ले और सुबह को नहा ले और जो इतना वक़्त भी नहीं तो उस दिन का रोजा फर्ज़ न हुआ अलबत्ता रोज़ा दारों की तरह रहना वाजिब है कोई बात ऐसी जो रोज़े के खिलाफ हो जैसे खाना पीना हराम है ।*_
_*💫मसअला : - रोज़े की हालत में हैज़ या निफास शुरू हो गया तो वह रोज़ा जाता रहा उसकी कज़ा रखे अगर रोजा फर्ज था तो कजा फर्ज है और नफ्ल था तो कज़ा वाजिब है ।*_
_*💫मसअला : - हैज और निफास की हालत में सजदए शुक्र और सजदए तिलावत हराम है और आयते सजदा सुनने से उस पर सजदा वाजिब नहीं ।*_
_*💫मसअला : - अगर सोते वक़्त औरत पाक थी और सुबह को सोकर उठी तो हैज का असर देखा तो उसी वक़्त से हैज़ का हुक्म दिया जायेगा और इशा की नमाज़ नहीं पढ़ी थी तो पाक होने पर उसकी कज़ा फर्ज है ।*_
_*💫मसअला : - हैज वाली सोकर उठी और गद्दी पर कोई निशान हैज़ का नहीं तो रात ही से पाक है नहा कर इशा की कज़ा पढ़े ।*_
_*💫मसअला : - इस हालत में सोहबत हमबिस्तरी ( सम्भोग ) हराम है ।*_
_*💫मसअला : - ऐसी हालत में सोहबत को जाइज़ जानना कुफ्र है और हराम समझ कर कर लिया तो सख्त गुनहगार हुआ उस पर तौबा फर्ज है और हैज़ के आने के ज़माने में किया तो एक दीनार और खत्म होने के करीब किया तो आधा दीनार खैरात करना मुस्तहब है ।*_
_*💫मसअला : - इस हालत में नाफ से घुटने तक औरत के बदन का अपने किसी उज्व से छूना जाइज़ नहीं जबकि कपड़ा या किसी और चीज़ की रुकावट न हो शहवत से हो या बे शहवत और अगर ऐसा हाइल हो कि बदन की गर्मी महसूस न होगी तो कोई हर्ज नहीं ।*_
_*💫मसअला : - नाफ से ऊपर और घुटने से नीचे छूने या किसी और तरह का नफा लेने में कोई हर्ज नहीं । यूँही चूमना भी जाइज़ है ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 74/75*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment