_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 96)*_
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_*🩸हैज़ व निफास के मुतअल्लिक अहकाम*_
_*💫मसअला : - हैज़ वाली को तीन दिन से कम खून आकर बन्द हो गया तो रोजे रखे और वुजू कर के नमाज पढ़े नहाने की ज़रूरत नहीं । फिर उसके बाद अगर पन्द्रह दिन के अन्दर खून आया है अब नहाये और आदत के दिन निकाल कर बाकी दिनों की कज़ा पढ़े और जिसकी कोई आदत वह दस दिन के बाद की नमाजें कज़ा करे । हाँ अगर आदत के दिनों के बाद या बे वाली ने - आदत वाली दस दिन के बाद गुस्ल कर लिया था तो इन दिनों की नमाजें हो गई कज़ा करने की ज़रूरत नहीं और आदत के दिनों से पहले के रोज़ों की कज़ा करे और बाद के रोजे हर हाल में हो गये ।*_
_*💫मसअला : - जिस औरत को तीन दिन रात के बाद हैज़ बन्द हो गया और आदत के दिन अभी पूरे न हुए या निफास का खून आदत पूरी होने से पहले बन्द हो गया तो बन्द होने के बाद ही गुस्ल करके नमाज़ पढ़ना शुरू कर दे और आदत के दिनों का इन्तिज़ार न करे ।*_
_*💫मसअला : - आदत के दिनों से खून आगे बढ़ गया तो हैज़ में दस और निफ़ास में चालीस दिन तक इन्तिज़ार करे , अगर इस मुद्दत के अन्दर बन्द हो गया तो अब से नहा धोकर नामज पढे और जो इस मुद्दत के बाद भी जारी रहा तो नहाये और आदत के बाद बाकी दिनों की कज़ा करे । मसअला : - हैज़ या निफास आदत के दिन पूरे होने से पहले बन्द हो गया तो आखिर मुस्तहब वक़्त तक इन्तिज़ार करके नहा कर नमाज़ पढ़े और जो आदत के दिन पूरे हो चुके तो इन्तिजार की कोई ज़रूरत नहीं ।*_
_*💫मसअला : - हैज पूरे दस दिन पर और निफास पूरे चालीस दिन पर ख़त्म हुआ और नमाज़ के वक़्त में अगर इतना भी वक़्त बाकी हो कि अल्लाहु अकबर का लफ्ज़ कहे तो उस वक़्त की नमाज़ उस पर फ़र्ज़ हो गई । नहा कर उसकी कज़ा पढ़े और अगर उससे कम में बन्द हुआ और इतना वक़्त है कि जल्दी से नहाकर और कपड़े पहनकर एक बार अल्लाहु अकबर कह सकती है तो फर्ज हो गयी कजा करे वर्ना नहीं ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 74*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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