_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 98)*_
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_*🩸हैज़ व निफास के मुतअल्लिक अहकाम*_
_*💫मसअला : - अपने साथ खिलाना या एक साथ सोना जाइज़ है बल्कि इस वजह से साथ न सोना मकरूह है ।*_
_*💫मसअला : - इस हालत में औरत मर्द के बदन के हर हिस्से को हाथ लगा सकती है ।*_
_*💫मसअला : - अगर साथ सोने में शहवत के ज्यादा होने और अपने को काबू में न रख सकने का खतरा हो तो साथ न सोये और अगर गालिब गुमान हो तो साथ सोना गुनाह है ।*_
_*💫मसअला : - हैज़ पूरे दस दिन पर खत्म हुआ तो पाक होते ही औरत से सोहबत करना जाइज़ है अगर्चे अब तक न नहाई हो मगर मुस्तहब यह है कि नहाने के बाद सोहबत करे ।*_
_*💫मसअला : - अगर औरत दस दिन से कम में पाक हुई तो जब तक कि नहा न ले या नमाज़ का वक़्त जिसमें वह पाक हुई गुज़र न जाये सोहबत जाइज़ नहीं और अगर वक़्त इतना नहीं था कि उसमें नहा कर कपड़े पहन कर अल्लाहु अकबर कह सके तो उसके बाद का वक़्त गुज़र जाये या नहा ले तो जाइज़ है वर्ना नहीं ।*_
_*💫मसअला : - आदत के दिन पूरे होने से पहले ही खत्म हो गया तो अगर्चे गुस्ल कर ले सोहबत नाजाइज़ है जब तक कि आदत के दिन पूरे न हों जैसे किसी की आदत छह दिन की थी और इस बार पाँच ही दिन आया तो उसे हुक्म है कि नहा कर नमाज़ शुरू कर दे मगर सोहबत के लिए एक दिन और इन्तिजार करना वाजिब है ।*_
_*💫मसअला : - हैज से पाक हुई और पानी पर कुदरत नहीं कि गुस्ल करे और गुस्ल का तयम्मुम किया तो इससे सोहबत जाइज नहीं जब तक इस तयम्मुम से नमाज़ न पढ़ ले नमाज़ पढ़ने के बाद अगर्चे पानी पर कादिर होकर गुस्ल न किया सोहबत जाइज है ।*_
_*📍फाइदा : - इन बातों में निफास के वही अहकाम हैं जो हैज़ के हैं ।*_
_*💫मसअला : - निफास में औरत का जच्चाखाने से निकलना जाइज है । उसको साथ खिलाने या बल जाने उसका झूठा खाने में हरज नहीं । हिन्दुस्तान में जो कुछ जगह उनके बर्तन तक अलग कर देते हैं बल्कि उनके बर्तनों को नापाक बर्तनों की तरह मसझती हैं यह गलत है यह हिन्दुओं की ऐसी बेहूदा रस्मों से बचना जरूरी है । अकसर औरतों में यह रिवाज है कि जब तक चिल्ला पूरा न हो ले अगर्चे निफास खत्म हो लिया हो न नमाज पढ़ें न अपने को नमाज के काबिल जा सरासर जिहालत है । जिस वक़्त निफास खत्म हुआ उसी वक़्त से नहा कर नमाज शुरू कर अगर नहाने से बीमारी का पूरा अन्देशा हो तो तयम्मुम कर लें ।*_
_*💫मसअला : - बच्चा अभी आधे से ज्यादा पैदा नहीं हुआ और नमाज़ का वक़्त जा रहा है और गुमान है कि आधे से ज्यादा बाहर होने से पहले वक़्त खत्म हो जायेगा तो उस वक़्त की नमाज़ जिस तरह मुमकिन हो पढ़ें और अगर खड़ी न हो सके , रूकूअ और सजदा न कर सके तो उस से नमाज़ पढ़े और वुजू न कर सके तो तयम्मुम से पढ़े और अगर न पढ़ी तो गुनहागार हुई तौबा करे और पाकी के बाद कजा पढ़े ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 75/76*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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