_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 88)*_
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_*🩸हैज़ के मसाइल*_
_*💫मसअला - बालिगा औरत के आगे के मकाम से जो खून आदत के तौर पर निकलता है और बीमारी या बच्चा पैदा होने की वजह से न हो उसे हैज कहते हैं , बीमारी से हो तो इस्तिहाज़ा और बच्चा होने के बाद हो तो निफास कहते हैं ।*_
_*💫मसअला : - हैज़ की मुद्दत कम से कम तीन दिन तीन रातें यानी पूरे 72 घन्टे से अगर एक मिनट भी कम है तो हैज नहीं और ज्यादा से ज्यादा दस दिन दस रातें हैं ।*_
_*💫मसअला : - 72 घन्टे से जरा भी पहले खत्म हो जाये तो हैज नहीं बल्कि इस्तिहाजा है । हाँ अगर किरन चमकी थी कि हैज शुरू हुआ और तीन दिन तीन रातें पूरी होकर किरन चमकने ही के वक़्त खत्म हुआ तो हैज़ है अगर्चे दिन बढ़ने के जमाने में तलअ रोज़ बरोज़ पहले और गुरूब बाद को होता रहेगा और दिन छोटे होने के जमाने में आफताब का निकलना बाद को और डूबना पहले होता रहेगा जिसकी वजह से उन तीन दिन रात की मिकदार 72 घन्टा होना जरूरी नहीं मगर ठीक तुलूअ से तुलूअ गुरूब से गुरूब तक ज़रूरी एक दिन एक रात है उनके अलावा अगर और किसी वक़्त शुरू हुआ तो वही चौबीस घन्टे पूरे का एक दिन रात लिया जायेगा । जैसे आज सुबह को ठीक नौ बजे शुरू हुआ और उस वक़्त पूरा पहर दिन चढ़ा था तो कल ठीक नौ बजे एक दिन रात होगा । अगर्चे अभी पूरे पहर भर दिन न आया जबकि आज का तुलूअ कल के तुलू से बाद हो या पहर भर से ज्यादा दिन आ गया हो जबकि आज का तुलूअ कल के तुलूअ से पहले हो ।*_
_*💫मसअला : - दस दिन रात से कुछ भी ज्यादा खून आया तो अगर यह हैज पहली बार उसे आया है तो दस दिन तक हैज़ है और बाद का इस्तिहाज़ा और अगर पहले से उसे हैज़ आ चुके हैं और आदत दस दिन से कम की ही थी तो आदत से जितना ज्यादा हो इस्तिहाज़ा है । इसे यूँ समझो कि उसको पाँच दिन की आदत थी अब आया दस दिन तो कुल हैज़ है और बारह दिन आया तो पाँच दिन हैज़ के बाकी सात दिन इस्तिहाजा के और अगर एक हालत मुकर्रर न थी बल्कि कभी चार दिन कभी पाँच दिन तो पिछली बार जितने दिन थे वही अब भी हैज़ के हैं और बाकी इस्तिहाजा के ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 67/68*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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