_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 99)*_
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_*🩸इस्तिहाज़ा का बयान*_
_*📚हदीस न . 1 : - सहीहैन में उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से मरवी कि फातिम बिन्ते अबी जैश रदियल्लाहु तआला अन्हा ने अर्ज की कि या रसूलल्लाह ! मुझे इस्तिहाज़ा आता है और पाक नहीं रहती तो क्या नमाज छोड़ दूँ ? फरमाया नहीं यह तो रग का खून है हैज नहीं तो जब हैज के दिन आयें तो नमाज़ छोड़ दे और जब जाते रहें खून धो और नमाज़ पढ़ ।*_
_*📚हदीस न . 2 : - अबू दाऊद और नसई की रिवायत में फातिमा बिन्ते अबी जैश रदीयल्लाहु तआला अन्हा से यूँ है कि उनसे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जब हैज का खून हो तो काला होगा और पहचान में आयेगा जब यह हो तो नमाज़ से बचो और जब दूसरी तरह का हो तो वुजू करो और नमाज़ पढ़ो कि वह रग का खून है ।*_
_*📚हदीस न . 3 : - इमामे मालिक व अबू दाऊद व दारमी की रिवायत में है कि एक औरत के खून बहता रहता उसके लिए उम्मुल मोमिनीन उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा ने हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से फतवा पूछा । इरशाद फरमाया कि इस बीमारी से पहले महीने में जितने दिन रातें हैज आता था उनकी गिनती शुमार करे , महीने में उन्हीं की मिकदार नमाज़ छोड़ दे और जब वह दिन जाते रहें तो नहाये और लंगोट बाँध कर नमाज़ पढ़े ।*_
_*📚हदीस न . 4 : - अबू दाऊद व तिर्मिज़ी की रिवायत है इरशाद फरमाया जिन दिनों में हैज़ आता था उनमें नमाजें छोड़ दे फिर नहाये और हर नमाज़ के वक़्त वुजू करे और रोज़ा रखे और नमाज पढे ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 76*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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