_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 94)*_
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_*🩸हैज़ व निफास के मुतअल्लिक अहकाम*_
_*💫मसअला : - हैज़ और निफास वाली औरत को कुर्आन मजीद देखकर या ज़बानी पढ़ना और उसका छूना अगर्चे उसकी जिल्द या चोली या हाशिये को हाथ या उंगली की नोक या बदन का कोई हिस्सा लगे यह सब हराम हैं ।*_
_*💫मसअला : - कागज़ के पर्चे पर कोई सूरह या आयत लिखी हो तो उसका भी छूना हराम है ।*_
_*💫मसअला : - जुजदान में कुर्आन मजीद हो तो उस जुजदान के छूने में हर्ज नहीं ।*_
_*💫मसअला : - इस हालत में कुर्ते के दामन या दुपट्टे के आँचल से या किसी ऐसे कपड़े से जिसको पहने या ओढ़े हुये हो उस्से कुर्आन मजीद छूना हराम है । गर्ज इस हालत में कुर्आन मजीद और दीनी किताबें पढ़ने और छूने के बारे में वही सब अहकाम हैं जो उस शख्स के बारे में हैं जिस पर नहाना फर्ज है और जिनका बयान गुस्ल के बाब में गुजर चुका है ।*_
_*💫मसअला : - मुअल्लिमा को हैज या निफास हुआ तो एक एक कलिमा सांस तोड़ - तोड़ कर पढ़ाये ' और हिज्जे कराने में कोई हर्ज नहीं ।*_
_*💫मसअला : - दुआये कुनूत पढ़ना उस हालत में मकरूह है । अल्लाहुम्मा इन्नी नस्तईनुका से लेकर बिल्कुफ्फारि मुल्हिक तक दुआए कुनूत है ।*_
_*💫मसअला : - कुर्आन मजीद के अलावा और तमाम अज़कार कलिमा शरीफ और दुरूद शरीफ वगैरा पढ़ना जाइज़ है मकरूह नहीं बल्कि मुस्तहब है और इन चीजों को वुजू या कुल्ली कर के पढ़ना बेहतर है और वैसे ही पढ़ लिया जब भी हर्ज नहीं और उनके छूने में भी हरज नहीं ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 73*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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