_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 95)*_
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_*🩸हैज़ व निफास के मुतअल्लिक अहकाम*_
_*💫मसअला : - ऐसी औरत को अज़ान का जबाब देना जाइज़ है ।*_
_*💫मसअला : - ऐसी औरत को मस्जिद में जाना हराम है ।*_
_*💫मसअला : - औरत अगर चोर या दरिन्दे से डर कर मस्जिद में चली गई तो जाइज़ है उसे चाहिए कि तयम्मुम कर ले यूँही मस्जिद में पानी रखा है या कुँआ है और पानी कहीं और नहीं मिलता तो तयम्मुम करके मस्जिद में जाना जाइज़ है ।*_
_*💫मसअला : - ईदगाह के अन्दर जाने में कोई हर्ज नहीं है ।*_
_*💫मसअला : - हाथ बढ़ाकर कोई चीज़ मस्जिद से लेना जाइज़ है ।*_
_*💫मसअला : - खानाए कबा के अन्दर जाना और उसका तवाफ करना अगर्चे मस्जिदे हराम के बाहर से हो , उनके लिए हराम है ।*_
_*💫मसअला : - इस हालत में रोज़ा रखना और नमाज पढ़ना हराम है ।*_
_*💫मसअला : - इन दिनों में नमाजें मुआफ हैं उनकी कज़ा भी नहीं और रोजों की कजा दूसरे दिनों में रखना फर्ज है ।*_
_*💫मसअला : - नमाज का आखिर वक़्त हो गया और अभी तक नमाज़ नहीं पढ़ी कि हैज़ आया या बच्चा पैदा हुआ तो उस वक़्त की नमाज़ मुआफ हो गई , अगर्चे इतना तंग वक़्त हो गया हो कि उस नमाज़ की गुन्जाइश न हो ।*_
_*💫मसअला : - नमाज़ पढ़ने में हैज़ आ गया या बच्चा पैदा हुआ तो वह नमाज़ मुआफ है अलबत्तान अगर नफ्ल नमाज़ थी तो उसकी कज़ा वाजिब है ।*_
_*💫मसअला : - नमाज़ के वक़्त में वुजू कर के उतनी देर तक ज़िक्रे इलाही दूरूद शरीफ और वजीफे पढ़ लिया करे जितनी देर तक नमाज़ पढ़ा करती थी कि आदत रहे ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 73/74*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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