Tuesday, April 28, 2020


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 64)*_
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               _*✨तयम्मुम के मसाइल✨*_

_*💫8: मसअला : - अगर ज़्यादा गुमान यह है कि मील के अन्दर पानी नहीं है तो तलाश करना ज़रूरी नहीं फिर अगर तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़ली और न तलाश किया और न कोई ऐसा है जिससे पूछे और बाद में मालूम हुआ कि पानी यहाँ से करीब है तो नमाज़ लौटाने की ज़रूरत नहीं मगर यह तयम्मुम अब जाता रहा और अगर कोई वहाँ था मगर उससे पूछा नहीं और बाद में मालूम हुआ कि पानी करीब है तो नमाज़ लौटाई जायेगी ।*_

_*💫9: मसअला : - और अगर करीब में पानी होने और न होने किसी का गुमान नहीं तो तलाश कर लेना मुस्तहब है और बगैर तलाश किये तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़ ली तो नमाज़ हो गई ।*_

_*💫10: मसअला : - साथ में ज़म ज़म शरीफ है जो लोगों के तबर्रुक के लिये ले जा रहा है या बीमार को पिलाने के लिये और इतना है कि वुजू हो जायेगा तो तयम्मुम जाइज़ नहीं ।*_

_*💫11: मसअला : - अगर चाहे कि ज़मज़म शरीफ से वुजू न करे और तयम्मुम जाइज हो जाये तो उसका तरीका यह है कि किसी ऐसे आदमी को कि जिस पर भरोसा हो कि वह वापस दे देगा , वह पानी उसे हिबा कर दे यानी दे दें और उसका कुछ बदला ठहराये तो अब तयम्मुम जाइज़ हो जायेगा ।*_

_*💫12: मसअला : - जो न आबादी में हो और न आबादी के करीब हो और उसके साथ पानी मौजूद हो लेकिन याद न हो और तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़ ली तो नमाज़ हो गई और अगर आबादी या आबादी के करीब में हो तो नमाज़ दोहरा ले ।*_

_*💫13: मसअला : - अगर अपने साथी के पास पानी है और उसे यह गुमान है कि माँगने से दे देगा तो मागने से पहले तयम्मुम जाइज नहीं फिर अगर नहीं माँगा और तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़ ली और नमाज के बाद माँगा तो उसने दे दिया या बिना माँगे उसने दिया तो वुजू कर के नमाज़ लौटाना जरूरी है और अगर माँगा और न दिया तो नमाज़ हो गई और अगर बाद को भी न माँगा जिससे उसके देने या न देने का हाल खलता और न उसने खुद दिया तो नमाज़ हो गई और अगर देते का गालिब गुमान नहीं और तयम्मुम करके नमाज पढ़ ली जब भी यही सूरतें हैं कि बाद को पानी दे दिया तो वुजू करे नमाज दोहरा ले वरना हो गई ।*_

_*💫14: मसअला : - नमाज पढ़ते में किसी के पास पानी देखा और गालिब गुमान यह है कि वह दे देगा तो चाहिये कि नमाज तोड़ दे और उससे पानी माँगे और अगर नहीं माँगा और पूरी कर ली और अब उसने खुद या उसके माँगने पर दे दिया तो नमाज़ का लौटाना ज़रूरी है और न दे तो हो गई और अगर देने का गुमान न था और नमाज के बाद उसने खुद दे दिया या माँगने से दिया जब भी नमाज़ लौटाये और अगर न उसने खुद दिया न उसने माँगा कि हाल मालूम होता तो नमाज़ हो गई और अगर नमाज पढ़ते में उसने खुद कहा कि पानी लो और वुजू कर लो और वह कहने वाला मुसलमान है तो नमाज़ जाती रही । नमाज़ का तोड़ देना फर्ज है और कहने वाला काफिर है तो न तोडे फिर नमाज के बाद अगर उसने पानी दे दिया तो वुज करके नमाज़ दोहरा ले ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 51/52*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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