_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 86)*_
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_*🩸हैज़ का बयान*_
_*📚हदीस न . 3 : - बुखारी शरीफ में है कि उर्वा से सवाल किया गया क्या हैज़ वाली औरत मेरी खिदमत कर सकती है और क्या जुनुबी औरत मुझ से करीब हो सकती है ? उर्वा ने जवाब दिया यह सब मुझ पर आसान है और यह सब मेरी ख़िदमत कर सकती हैं और किसी पर उसमे कोई हर्ज नहीं । मुझे उम्मुल मोमिनीन आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा ने खबर दी कि यह हैज की हालत में हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के कंघा करतीं और हुजूर एअतिकाफ में थे अपने सर को उनसे करीब कर देते और यह अपने हुजूरे ( कमरे ) ही में होतीं ।*_
_*📚हदीस न. 4 : - उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि हैज़ के जमाने में मैं पानी पीती फिर हुजूर को दे देती तो जिस जगह मेरा मुँह लगा होता हुजूर वहीं अपना मुंह रखकर पीते और हैज़ की हालत में हड्डी से गोश्त नोच कर मैं खाती फिर हुजूर को दे देती तो हुजूर अपना मुँह उस जगह रखते जहाँ मेरा मुँह लगा होता ।*_
_*📚हदीस न . 5 : - बुख़ारी और मुस्लिम में उन्हीं से रिवायत है वह फरमाती हैं कि मैं हैज़ की हालत में होती और हुजूर मेरी गोद में तकिया लगाकर कुर्आन पढ़ते ।*_
_*📚हदीस न . 6 : - मुस्लिम में उन्हीं से रिवायत है वह फरमाती हैं कि हजुर ने मुझ से फ़रमाया कि हाथ बढ़ा कर मस्जिद से मुसल्ला उठा देना । मैंने अर्ज किया मैं हैज़ की हालत में हूँ । हुजूर ने फरमाया तेरा हैज़ तेरे हाथ में नहीं ।*_
_*📚हदीस न . 7 : - बुखारी और मुस्लिम में उम्मुल मोमिनीन मैमूना रदियल्लाहु तआला अन्हा से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम एक चादर में नमाज़ पढ़ते थे जिसका कुछ हिस्सा मुझ पर था और कुछ हुजूर पर और मैं हैज़ की हालत में थी ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 66/67*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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