_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 55)*_
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_*18: 💫मसअला : - बे वुजू और जिस आदमी पर नहाना फर्ज़ हो अगर बिला ज़रूरत कुँए में उतरें और उसके बदन पर नजासत न लगी हो तो बीस डोल पानी निकाला जायेगा और अगर डोल निकालने के लिये उतरा तो कोई हर्ज नहीं ।*_
_*19: 💫मसअला : - सुअर कुँए में अगर गिर जाये और अगर्चे न मरे कुँए का पानी नाजिस हो गया और सब पानी निकाला जायेगा ।*_
_*20: 💫मसअला - सुअर के सिवा और कोई जानवर कुँए में गिरा और जिन्दा निकला और उसके जिस्म पर नजासत का यकीन न हो और पानी में उसका मुँह न पड़ा तो पाक है उसका इस्तेमाल जाइज मगर बीस डोल पानी निकालना बेहतर है और अगर उसके बदन पर नजासत लगी रहने का यकीन हो तो सारा पानी निकाला जायेगा और अगर उसका मुँह पानी में पड़ा तो उसके लुआब और उसके झूटे का जो हुक्म है वही हुक्म उस पानी का है अगर झूटा नापाक या मशकूक हो तो सारा पानी निकाला जायेगा और अगर मकरूह है तो चूहे वगैरा में बीस डोल , मुर्गी छूटी हुई में चालीस और जिसका झूटा पाक हैं उस मे भी बीस डोल निकालना बेहतर है मसलन बकरी गिरी और जिन्दा निकल आई तो बीस डोल निकालें ।*_
_*21 :💫मसाला : - कुँए में वह जानवर गिरा जिसका झुटा पाक या मकरूह है और उसमें से पानी कुछ न निकाला और वुजू कर लिया तो वुजू हो जायेगा ।*_
_*22 :💫मसअला : - जूता या गेंद , कुँए में गिर गई और उसका नजिस होना यकीनी है तो कुल पानी निकाला जायेगा नहीं तो बीस डोल और खाली नजिस होने का ख्याल एअतेबार के लाइक नहीं ।*_
_*23: 💫मसअला : - जो जानवर पानी में पैदा होता है अगर कुँए में मर जाये या मरा हुआ गिर जाये तो नापाक न होगा अगर्चे फूला फटा हो मगर फट कर उसके टुकड़े अगर पानी में मिल गये तो उस पानी का पीना हराम है ।*_
_*24: 💫मसअला : - खुश्की और पानी के मेंढ़क का एक हुक्म है । यानी उसके मरने बल्कि सड़ने से भी पानी नजिस न होगा मगर जंगल का बड़ा मेंढक जिस में बहने के काबिल खून होता है उसका हुक्म चूहे की मिस्ल है पानी और खुश्की के मेंढक में फर्क यह है कि पानी के मेंढक की उंगलियों के दरम्यान झिल्ली होती है और खुश्की वाले में नहीं ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 44/45*_
_*📍बाकि अगले पोस्ट में*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*18: 💫मसअला : - बे वुजू और जिस आदमी पर नहाना फर्ज़ हो अगर बिला ज़रूरत कुँए में उतरें और उसके बदन पर नजासत न लगी हो तो बीस डोल पानी निकाला जायेगा और अगर डोल निकालने के लिये उतरा तो कोई हर्ज नहीं ।*_
_*19: 💫मसअला : - सुअर कुँए में अगर गिर जाये और अगर्चे न मरे कुँए का पानी नाजिस हो गया और सब पानी निकाला जायेगा ।*_
_*20: 💫मसअला - सुअर के सिवा और कोई जानवर कुँए में गिरा और जिन्दा निकला और उसके जिस्म पर नजासत का यकीन न हो और पानी में उसका मुँह न पड़ा तो पाक है उसका इस्तेमाल जाइज मगर बीस डोल पानी निकालना बेहतर है और अगर उसके बदन पर नजासत लगी रहने का यकीन हो तो सारा पानी निकाला जायेगा और अगर उसका मुँह पानी में पड़ा तो उसके लुआब और उसके झूटे का जो हुक्म है वही हुक्म उस पानी का है अगर झूटा नापाक या मशकूक हो तो सारा पानी निकाला जायेगा और अगर मकरूह है तो चूहे वगैरा में बीस डोल , मुर्गी छूटी हुई में चालीस और जिसका झूटा पाक हैं उस मे भी बीस डोल निकालना बेहतर है मसलन बकरी गिरी और जिन्दा निकल आई तो बीस डोल निकालें ।*_
_*21 :💫मसाला : - कुँए में वह जानवर गिरा जिसका झुटा पाक या मकरूह है और उसमें से पानी कुछ न निकाला और वुजू कर लिया तो वुजू हो जायेगा ।*_
_*22 :💫मसअला : - जूता या गेंद , कुँए में गिर गई और उसका नजिस होना यकीनी है तो कुल पानी निकाला जायेगा नहीं तो बीस डोल और खाली नजिस होने का ख्याल एअतेबार के लाइक नहीं ।*_
_*23: 💫मसअला : - जो जानवर पानी में पैदा होता है अगर कुँए में मर जाये या मरा हुआ गिर जाये तो नापाक न होगा अगर्चे फूला फटा हो मगर फट कर उसके टुकड़े अगर पानी में मिल गये तो उस पानी का पीना हराम है ।*_
_*24: 💫मसअला : - खुश्की और पानी के मेंढ़क का एक हुक्म है । यानी उसके मरने बल्कि सड़ने से भी पानी नजिस न होगा मगर जंगल का बड़ा मेंढक जिस में बहने के काबिल खून होता है उसका हुक्म चूहे की मिस्ल है पानी और खुश्की के मेंढक में फर्क यह है कि पानी के मेंढक की उंगलियों के दरम्यान झिल्ली होती है और खुश्की वाले में नहीं ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 44/45*_
_*📍बाकि अगले पोस्ट में*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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