_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 32)*_
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_*🌀मुतफ़र्रिक मसाइल*_
_*💫मसअला : - जो आदमी बावुजू ( वुजू से था ) अब उसे शक है कि वुजू है या टूट गया तो वुजू करने की उसे ज़रूरत नहीं , हाँ कर लेना बेहतर है जब कि यह शक वसवसे के तौर पर न हुआ करता हो और अगर वसवसा है तो उसे हर्गिज़ न माने इस सूरत में एहतियात समझकर एहतियात करना एहतियात नहीं बल्कि शैतान की इताअत है ।*_
_*💫मसअला : - और अगर बेवुजू ( बगैर वुजू ) था अब उसे शक है कि मैंने वुजू किया या नहीं तो वह बिला वुजू है उसको वुजू करना ज़रूरी है ।*_
_*💫मसअला : - यह मालूम है कि वुजू के लिए बैठा था और यह याद नहीं कि वुजू किया था या नही तो उसे वुजू करना ज़रूरी है ।*_
_*💫मसअला : - यह याद है कि पाखाना या पेशाब के लिये बैठा था मगर यह याद नहीं कि किया भी या नहीं तो उस पर वुजू फर्ज है ।*_
_*💫मसअला : - यह याद है कि कोई उज्व ( अंग ) धोने से रह गया मगर मालूम नहीं कि कौन उज्व था तो बायाँ पाँव धो ले ।*_
_*💫मसअला : - अगर मियानी में तरी लगी देखी मगर यह नहीं मालूम कि पानी है या पेशाब तो अगर यह उम्र का पहला वाकिआ है तो वुजू कर ले और अगर बार - बार ऐसे शुबहे पड़ते हैं तो उसकी तरफ तवज्जोह न करें कि यह शैतानी वसवसा है ।*_
_*💫मसअला : - अगर वुजू के दरमियान किसी उज्व के धोने में शक हो जाये और यह ज़िन्दगी का पहला वाकिआ हो तो उसको धो ले और अगर अक्सर शक पड़ता है तो उसकी तरफ़ तवज्जोह न करे ऐसे ही अगर वुजू के बाद शक हो तो उसका कुछ ख्याल न करे ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 26/27*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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