_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 19)*_
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_*💦वुजू के मुस्तहब्बात*_
_*वुजू का बर्तन मिट्टी का हो ताँबे वगैरा का हो तो भी हरज नहीं मगर उस पर कलई हो । अगर वुजू का बर्तन लोटे की किस्म से हो तो उसे बाई तरफ रखे और तश्त की किस्म से हो तो दाहिनी तरफ । आफताबे ( लोटा ) में दस्ता लगा हो तो दस्ते को तीन बार धो लें और हाथ उस के दस्ते पर रखे । दाहिने हाथ से कुल्ली करना और नाक में पानी डालना । बायें हाथ से नाक साफ करना । बायें हाथ की छंगुलिया नाक में डालना । पाँव को बायें हाथ से धोना । मुँह धोने में माथे के सिरे पर ऐसा फैला कर पानी डालें कि ऊपर का भी कुछ हिस्सा धुल जाये ।*_
_*📍तम्बीह : - बहुत से लोग ऐसा करते हैं कि नाक , आँख या भवों पर चुल्लू डाल कर सारे मुँह पर हाथ फेर लेते हैं और यह समझते हैं कि मुँह धुल गया हालाँकि पानी का ऊपर चढ़ना कोई मअनी नहीं रखता इस तरह धोने में मुँह नहीं धुलता और वुजू नहीं होता । दोनों हाथों से मुँह धोना । हाथ पाँव धोने में उंगलियों से शूरू करना । चेहरे और हाथ पाँव की रौशनी वसी करना यानी जितनी जगह पर पानी बहाना फर्ज है उसके आस पास कुछ बढ़ाना जैसे आधे बाजू और आधी पिंडली तक धोना सर में मसह का मुस्तहब तरीका यह है कि अँगूठे और कलिमे की उंगली के सिवा एक हाथ की बाकी तीन उंगलियों का सिरा दूसरे हाथ की तीन उंगलियों के सिरे से मिलायें और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर गुद्दी तक इस तरह ले जायें कि हथेलियाँ सर से जुदा रहें वहाँ से हथेलियों से मसह करता वापस लाये और कलिमे की उंगली के पेट से कान के अन्दरूनी हिस्से का मसह करें और अँगूठे के पेट से कान की बैरूनी सतह ( बाहरी हिस्सा ) का और उंगलियों की पुश्त से गर्दन का मसह करना । हर उज्व धोकर उस पर हाथ फेर देना चाहिए कि बूंदें बदन या कपड़े पर न टपकें , खास कर जब मस्जिद में जाना हो कि कतरों का मस्जिद में टपकना मकरूहे तहरीमी है । बहुत भारी बर्तन से कमज़ोर आदमी वुजू न करे क्योंकि बे एहतियाती से पानी गिरेगा । जुबान से कह लेना कि वुजू करता हूँ । हर उज्व के धोते या मसह करते वक़्त वुजू की नियत का हाज़िर रहना ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 18*_
_*🤲🏻तालिबे दुआ-ए- मग़फिरत एडमिनस*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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