Tuesday, April 28, 2020



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 11)*_
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_*हदीस न . 14 : - तबरानी बइसनादे हसन हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अगर यह बात न होती कि मेरी उम्मत पर शाम ( भारी ) होगा तो मैं उनको वुजू के साथ मिस्वाक करने का हुक्म फरमा देता ( यानी फ़र्ज़ कर देता और कुछ रिवायतों में फर्ज का लफ्ज़ भी आया है )*_

_*हदीस न . 15 : - इसी तबरानी की एक रिवायत में है कि सय्यदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उस वक़्त तक किसी नमाज़ के लिये तशरीफ न ले जाते जब तक कि मिस्वाक न कर लेते ।*_

 _*हदीस न . 16 : - सही मुस्लिम शरीफ में हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि हुजूर बाहर से जब घर में तशरीफ़ लाते सब से पहला काम मिस्वाक करना होता ।*_

 _*हदीस न . 17 : - इमाम अहमद हजरते इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत करते हैं कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मिस्वाक का इन्तिजाम रखो कि वह सबब है मुँह की सफाई और रब तबारक व तआला की रज़ा का ।*"

 _*हदीस न . 18 : - अबू नईम हज़रते जाबिर रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाह तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि दो रकअतें जो मिस्वाक करके पढी जाये । बे मिस्वाक की सत्तर रकअतों से अफज़ल हैं ।*_

 _*हदीस न . 19 : - एक और रिवायत में है कि जो नमाज़ मिस्वाक कर के पढ़ी जाये वह उस नमाज से सत्तर हिस्से अफज़ल है जो बिना मिस्वाक के पढ़ी जाये ।*_

 _*हदीस न . 20 : - मिश्कात शरीफ़ में हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि दस चीजें फितरत से हैं ( यानी उनका हुक्म हर शरीअत में था ) 1 . मूछे कतरना 2 . दाढ़ी बढ़ाना 3 . मिस्वाक करना 4 . नाक में पानी डालना 5 . नाखुन तराशना 6 . उँगलियों को धोना 7 . बगल के बाल दूर करना 8 . नाफ के नीचे के बाल मूंडना 9 . इस्तिन्जा करना ( नजासत निकलने की जगह को पाक करना ) 10 . कुल्ली करना ।*_

 _*हदीस न . 21 : - हजरते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि बन्दा जब मिस्वाक कर लेता है फिर नमाज़ को खड़ा होता है तो फरिश्ता उसके पीछे खड़े होकर किरात सुनता है फिर उससे करीब होता है यहाँ तक कि अपना मुँह उसके मुँह पर रख देता है ।*_

 _*मशाइखे किराम फरमाते हैं कि जो मोमिन आदमी मिस्वाक की आदत रखता हो तो मरते वक़्त उसे कलिमा पढ़ना नसीब होगा और जो अफयून ( अफीम ) खाता हो मरते वक़्त उसे कलिमा नसीब न होगा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 11/12*_

_*🤲 तालिबे दुआँ क़मर रज़ा ह़नफ़ी*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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