_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 72)*_
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_*✨तयम्मुम की सुन्नतें✨*_
_*💫तयम्मुम की सुन्नतें यह हैं : ⤵️*_
_*1 . बिस्मिल्लाह कहना ।*_
_*2 . हाथों को ज़मीन पर मारना ।*_
_*3 . उंगलियाँ खुली हुई रखना ।*_
_*4 . हाथों को झाड़ लेना यानी एक हाथ के अंगूठे की जड़ को दूसरे हाथ के अंगूठे की जड़ पर मारना इस तरह कि ताली की तरह आवाज न निकले ।*_
_*5 . ज़मीन पर हाथ मार कर लौट देना ।*_
_*6 . पहले मुँह फिर हाथ का मसह करना ।*_
_*7 . दोनों का मसह पै दर पै होना ।*_
_*8 . पहले दाहिने हाथ फिर बायें हाथ का मसह करना ।*_
_*9 . दाढ़ी का ख्याल करना ।*_
_*10 . उंगलियों का खिलाल करना जब कि गुबार पहुँच गया हो और अगर गुबार न पहुँचा जैसे पत्थर वगैरा किसी ऐसी चीज़ पर हाथ मारा जिस पर गुबार न हो तो खिलाल फर्ज है । हाथों के मसह में अच्छा तरीका यह है कि बायें हाथ के अंगूठे के अलावा चार उंगलियों का पेट दाहिने हाथ की पीठ पर रखे और उंगलियों के सरों से कुहनी तक ले जाये और फिर वहाँ से बायें हाथ की हथेली से दाहिने पेट को छूता गट्टे तक लाये । और बायें अँगूठे के पेट से दाहिने अँगूठे की पीठ को मसह करे ऐसे ही दाहिने हाथ से बायें का मसह करे और एक दम से पूरी हथेली और उंगलियों से मसह कर लिया तो तयम्मुम हो गया चाहे कुहनी से उंगलियों की तरफ लाया या उंगलियों से कुहनी की तरफ ले गया मगर पहली सूरत में सुन्नत के खिलाफ हुआ ।*_
_*💫1: मसअला : - अगर मसह करने में सिर्फ तीन उंगलियाँ काम में लाया जब भी हो गया और अगर एक या दो से मसह किया तो तयम्मुम नहीं होगा अगर्चे तमाम उज्व पर उनको फेर लिया हो ।*_
_*💫2: मसअला : - तयम्मुम होते हुए दोबारा तयम्मुम न करे ।*_
_*💫3: मसअला : - खिलाल के लिये ज़मीन पर हाथ मारना ज़रूरी नहीं ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 57*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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