_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 61)*_
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_*📜तयम्मुम का बयान*_
_*🕋अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है*_
_*📝तर्जमा : - " अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें का कोई पाखाने से आया या औरतों से मुबाशिरत ( हमबिस्तरी ) की और पानी न पाओ तो पाक मिट्टी का कस्द ( इरादा ) करो तो अपने मुँह और हाथों का उस से मसह करो " ।*_
_*📚हदीस न . 1 : - सही बुखारी में हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि वह फरमाती हैं कि हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ एक सफर में गये यहाँ तक कि जब बेदा या जातुल जैश ( जगह के नाम ) में पहुँचे तो मेरी हैकल टुट गई । हुजूर उसे तलाश करने के लिये ठहर गये और लोग भी हुजूर के साथ ठहरे । वहाँ पानी न था और न लोगों के साथ पानी था । लोगों ने , हज़रते अबू बक्र से कहा कि क्या आप नहीं देखते कि सिद्दीक़ा ने क्या किया , हुजूर को और सबको ठहरा लिया और न यहाँ पानी है और न लोगों के साथ पानी है । फ़रमाती हैं कि हज़रते अबु बक्र रदियल्लाहु तआला अन्हु आये और हुजूर अपना सरे मुबारक मेरे जानू पर रखकर आराम फरमा रहे थे । उन्होंने फ़रमाया तूने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और लोगों को रोक लिया हालाँकि न यहाँ पानी है न लोगों के साथ पानी है । उम्मल मोमिनीन फ़रमाती हैं कि मुझ पर सख्ती की और अल्लाह ने जो चाहा उन्होंने कहा और अपने हाथ से मेरी कोख में कोंचना शुरू किया मैं हट सकती थी मगर चुंकि हुजूर मेरे जानू पर सर रख कर आराम फरमा रहे थे इसलिये मैं हिल भी न सकी । जब सुबह हुई तो हुजूर उठे । वह जगह ऐसी थी कि वहाँ पानी न था तो अल्लाह तआला ने तयम्मुम की आयत उतारी और लोगों ने तयम्मुम किया । उस पर उसैद इब्ने हुज़ैर रदियल्लाहु तआला अन्हु ने कहा ऐ आले अबू बक्र यह तुम्हारी पहली बरकत नहीं यानी ऐसी बरकतें तुम से होती ही रहती हैं । फ़रमाती हैं कि जब मेरी सवारी का ऊँट उठाया गया तो वह हैकल उसके नीचे मिली ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 49*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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