_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 101)*_
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_*🩸इस्तिहाज़ा के अहकाम*_
_*🩸इस्तिहाजा में न नमाज मुआफ है न रोजा और न ऐसी औरत से सोहबत हराम है ।*_
_*💫मसअला : - नमाज़ का कुछ वक़्त ऐसी हालत में गुज़रा कि उज्र न था और नमाज़ न पढ़ी और अब पढ़ने का इरादा किया तो इस्तिहाज़ा या बीमारी से वुजू जाता रहता है गर्ज यह बाकी वक़्त ऐसे ही गुज़र गया और इसी हालत में नमाज़ पढ़ ली तो अब इसके बाद का वक़्त भी पूरा अगर इसी इस्तिहाज़ा या बीमारी में गुज़र गया तो वह पहली भी हो गई और इस वक़्त इतना मौका मिला कि वुजू कर के फ़र्ज़ पढ़ ले तो पहली नमाज़ को लौटाये ।*_
_*💫मसअला : - खून बहते में वुजू किया और वुजू के बाद खून बन्द हो गया और उसी वुजू से नमाज़ पढ़ी और उसके बाद जो दूसरा वक़्त आया वह भी पूरा गुज़र गया कि खून न आया तो पहली नमाज़ को लौटाये यूँही अगर नमाज़ में बन्द हुआ और उसके बाद दूसरे में बिल्कुल न आया जब भी नमाज़ लौटाये ।*_
_*💫मसअला : - फर्ज़ नमाज़ का वक़्त जाने से माजूर का वुजू टूट जाता है जैसे किसी ने अस्र के वक़्त वुजू किया था तो आफताब के डूबते ही वुजू जाता रहा और अगर किसी ने आफताब निकलने के बाद वुजू किया तो जब तक ज़ोहर का वक़्त ख़त्म न हो वुजू न जायेगा कि अभी तक किसी फर्ज नमाज़ का वक़्त नहीं गया ।*_
_*💫मसअला : - वुजू करते वक़्त वह चीज़ नहीं पाई गई जिसकी वजह से वह माजूर है और वुजू के बाद भी न पाई गई यहाँ तक कि बाकी पूरा वक़्त नमाज़ का खाली गया तो वक़्त के जाने से वुजू नहीं टूटा । यूँही अगर वुजू से पहले पाई गई मगर न वुजू के बाद बाकी वक़्त में पाई गई न उसके बाद दूसरे वक़्त में तो वक़्त जाने से वुजू न टुटेगा ।*_
_*💫मसअला : - और अगर उस वक़्त में वुजू से पहले वह चीज़ पाई गई और वुजू के बाद भी वक़्त में पाई गई या वुजू के अन्दर पाई गई और वुजू के बाद उस वक़्त में न पाई गई मगर बाद वाले में पाई गई तो वक़्त खत्म होने पर वुजू जाता रहेगा अगर्चे वह हदस न पाया जाये ।*_
_*💫मसअला : - माजूर का वुजू उस चीज़ से नहीं जाता जिसकी वजह से माजूर है हाँ अगर को दूसरी चीज़ वूजू तोड़ते वाली पाई गई तो वुजू जाता रहा जिसको कतरे का मर्ज़ है , हवा निकल से वुजू जाता रहेगा और जिसको हवा निकलने का मर्ज है , कतरे से वुजू जाता रहेगा ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 77/78*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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