_*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 13)*_
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_*🔥जहन्नम की आग की हौलनाकियाँ🔥*_
_*✨हज़रत उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि एक मरतबा हज़रत जिबरईल अलैहिस्सलाम ऐसे वक़्त में तशरीफ़ लाए कि उस वक़्त में उससे पहले नहीं आते थे , हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम खड़े हो गए और फ़रमाया जिबरईल ! क्या बात है मैं तुम को मुतग़य्यर ( बदला हुआ ) देख रहा हूँ । जिबरईल ने अर्ज़ की मैं उस वक़्त आपके पास आया हूँ जब कि अल्लाह तआला ने जहन्नम को दहकाने का हुक्म दिया है । आप ने फ़रमाया जिबरईल मुझे उस आग या जहन्नम के बारे में बताओ । जिबरईल अलैहिस्सलाम ने अर्ज की कि अल्लाह तआला ने जहन्नम को दहकाने का हुक्म दिया और उसमें एक हज़ार साल तक आग दहकाई गई यहाँ तक कि वह सफेद हो गई , फिर उसे एक हज़ार साल तक और भड़काने का हुक्म मिला यहाँ तक कि वह सुर्ख हो गई , फिर उसे अल्लाह तआला के हुक्म से एक हज़ार साल तक और भड़काया गया यहाँ तक कि वह बिल्कुल सियाह ( काली ) हो गई । अब वह सियाह और तारीक है , न उसमें चिंगारी रौशन होती है और न ही उसका भड़कना ख़त्म होता है और न उसके शोले बुझते हैं । उस ज़ात की कसम जिसने आप को नबी -ए- बर - हक़ बनाकर मबऊस फ़रमाया है , अगर सुई के नाके के बराबर भी जहन्नम को खोल दिया जाए तो तमाम अहले ज़मीन फ़ना हो जाएं और कसम है उस ज़ात की जिसने आप को हक के साथ भेजा , अगर जहन्नम के फ़िरिश्तों में से एक फ़िरिश्ता दुनिया वालों पर ज़ाहिर हो जाए तो ज़मीन की तमाम मखलूक उसकी बद - सूरती और बदबू की वजह से हलाक हो जाए । और कसम है उस जात की जिसने आपको हक के साथ मबऊस फ़रमाया , अगर जहन्नम की जन्जीरों का एक हुलका जिसका अल्लाह तआला ने कुर्आने करीम में ज़िक्र किया है , दुनिया के पहाड़ों पर रख दिया जाए तो वह रेज़ा रेज़ा हो जाएं और वह हलका तहतुससरा में जा ठहरे । हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यह सुनकर फ़रमाया बस जिबरईल बस । इतना तजकिरा ही काफ़ी है , मेरे लिए यह बात इन्तिहाई परेशान करने वाली है ।*_
_*💫रावी कहते हैं कि तब हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने जिबरईल को देखा वह रो रहे हैं । आप ने फ़रमाया जिबरईल ! तुम क्यों रोते हो ? तुम्हारा तो अल्लाह तआला के यहाँ बहुत बड़ा मक़ाम है । जिबरईल ने अर्ज़ की मैं क्यों न रोऊँ ? मैं ही रोने का ज़्यादा हक़दार हूँ , क्या ख़बर अल्लाह तआला के इल्म में मेरा इस मकाम के अलावा कोई और मकाम हो , क्या ख़बर मुझे कहीं इब्लीस की तरह न आज़माया जाए वह भी तो फ़िरिश्तों में रहता था और क्या ख़बर मुझे हारूत मारूत की तरह आज़माइश में न डाल दिया जाए । तब हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और जिबरईल अलैहिस्सलाम दोनों अश्कबार हो गए और यह अश्क ( आँसू ) बराबर जारी रहे यहाँ तक कि आवाज़ आई ऐ जिबरईल ! ऐ मुहम्मद ! अल्लाह तआला ने तुम दोनो को अपनी नाफरमानी से महफूज़ कर लिया है । इसके बाद जिबरईल अलैहिस्सलाम आसमानों की तरफ़ परवाज़ कर गए ।*_
_*(📕 अत - तरगीब वत तरहीब )*_
_*✨मुसलमानो ! जहन्नम की हौलनाकियों पर गौर करो और उससे पनाह माँगो । और बचो उन कामों से जिनका बदला जहन्नम है । अगर तुम्हें आग के जलाने पर कोई शक है तो ज़रा अपनी उंगली इस दुनियावी आग में डाल कर देखो तो तुम्हें पता चल जाएगा । जब कि दुनिया की इस आग को जहन्नम की आग से कोई निस्बत नहीं । लेकिन सोचो तो जब यह दुनिया की आग का एक कोयला अगर तुम्हारे जिस्म पर लग जाए तो तुम चीखने चिल्लाने लगो और यह आग दुनिया के बहुत सख़्त अज़ाबों में शुमार की जाती है , तो उस जहन्नम की आग का क्या आलम होगा जिससे यह दुनिया की आग भी पनाह माँगती है । अल्लाह तआला हमें उस आग से महफूज़ फ़रमाए ।*_
_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 19/20/21/22*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_
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