Wednesday, April 29, 2020



  _*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 10)*_
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_*🕳️कब्र के हालात🕳️*_ 

_*✴️अंधेरा घर अकेली जान दम घुटता दिल उकताता खुदा को याद कर प्यारे वह साअत आने वाली है ।*_

_*✨इनसान को इस दुनिया से रुख़सत होने के बाद आख़िरत की मन्ज़िलों में सबसे पहली जिस मन्ज़िल का सामना करना पड़ता है वह कब्र है ।*_ 

_*🕋अल्लाह तआला फ़रमाता है :*_

_*📝तर्जमाः - तुम्हें ग़ाफ़िल रखा माल की ज्यादा तलबी ने यहाँ तक कि तुम ने कब्रों का मुँह देख लिया ।

_*(📕 पारा 30 , सूरा - ए तकासुर , आयत 1 )*_

_*💫फ़रमाने नबवी है कि जब मय्यत को कब्र में रखा जाता है तो कब्र कहती है ऐ इन्सान ! तुझ पर अफ़सोस है , तुझे मेरे बारे में किस चीज़ ने धोके में डाला था ? क्या तुझे मालूम नहीं था कि मैं आज़माइशों और कीड़े मकोड़ों का घर हूँ , जब तू मुझ पर से आगे पीछे कदम रखता गुज़रा करता था तो तुझे कौन सा गुरूर घेरे होता था ? अगर मय्यत नेक होती है तो उसकी तरफ से कोई जवाब देने वाला कब्र को जवाब देता है क्या तुझे मालूम नहीं है यह शख्स नेकियो का हुक्म देता और बुराइयों से रोका करता था । कब्र कहती है जब तो मैं इसके लिए सबजे में तबदील हो जाऊँगी , इसका जिस्म नूरानी बन जाएगा और इसकी रूह अल्लाह तआला के कुर्बे रहमत में जाएगी ।*_

_*(📕 अल मोजमुल कबीर लित्तबरानी )*_

_*✨मुहम्मद बिन सबीह रहमतुल्लाह तआला अलैहि कहते हैं कि मुझ तक यह रिवायत पहुँची है कि जब आदमी कब्र में रखा जाता है और उसे अज़ाब दिया जाता है तो उसके करीबी मुर्दे कहते हैं ऐ अपने भाइयों और हमसायों ( पड़ोसियों ) के बाद दुनिया में रहने वाले ! क्या तू ने हमारे जाने से कोई नसीहत हासिल न की और तेरे सामने हमारा मर कर कब्रों में दफ़्न हो जाना कोई काबिले गौर बात न थी ? तू ने हमारी मौत से हमारे आमाल ख़त्म होते देखे , लेकिन तू ज़िन्दा रहा और तुझे अमल करने की मोहलत दी गई मगर तू ने इस मोहलत को गनीमत न जाना और नेक आमाल न किए । और उससे ज़मीन का वह टुकड़ा कहता है ऐ ज़ाहिरी दुनिया पर इतराने वाले ! तू ने अपने उन रिश्तेदारों से इबरत क्यों न हासिल की जो दुनियावी नेमतों पर इतराया करते थे मगर वह तेरे सामने मेरे पेट में गुम हो गए । उनकी मौत उन्हें कब्रों मे ले आई और तू ने उन्हें कन्धों पर सवार होकर इस मन्ज़िल की तरफ़ आते देखा कि जिससे कोई राहे फरार ( भाग जाने का रास्ता ) नहीं है ।*_

_*(📕 मुकाशफ़तुल कुलूब )*_ 

_*✨मुसलमानो ! नहीं मालूम कि किस वक़्त मौत का फ़िरिश्ता आ जाए और हमें इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कहना पड़े । अभी जो मोहलत है इस मोहलत को गनीमत जानो । नेक आमाल करो और बुराइयों से बचो और बचाओ ।*_


_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 14/15/16*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_

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