Wednesday, April 29, 2020



  _*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 11)*_
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_*📍कब्र और हज़रत उस्माने गनी रदिअल्लाहु तआला अन्हु ।*_

_*👑अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने ग़नी रदिअल्लाहु तआला अन्हु जब किसी कब्र के पास खड़े होते तो इतना रोते थे कि आँसुओं से उनकी दाढ़ी तर हो जाया करती थी , तो किसी ने कहा ( ऐ अमीरुल मोमिनीन ) आप जन्नत व दोज़ख का जिक्र करते हैं तो नहीं रोते और कब्र के पास क्यों रोते हैं ? तो आप ने फ़रमाया कि यकीन रखो कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि कब्र आखिरत की मन्ज़िलों में से पहली मन्ज़िल है अगर इससे नजात मिल गई तो इसके बाद की मन्ज़िलें इससे ज्यादा आसान होंगी । और अगर इससे नजात न मिली तो इसके बाद की मन्ज़िलें इससे ज्यादा सख्त होंगी । और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यह भी फ़रमाया है कि कब्र से बढ़कर ख़ौफ़नाक मन्ज़र कभी मैंने देखा ही नहीं ।*_

_*(📕 मिश्कात )*_

_*✨ज़रा सोचो ! हज़रत उस्माने ग़नी रदिअल्लाहु तआला अन्हु वह हैं जिनका हर लम्हा ज़िक्रे इलाही में गुज़रा करता थे , इसके बावजूद भी वह अज़ाबे कब्र के ख़ौफ़ से इतना रोते थे कि आँसुओं से दाढ़ी तर हो जाया करती थी । और एक हम हैं कि नेकियाँ तो छोड़िए बुराइयों से बाज़ नहीं आते । काश कि हम गौर करें , ग़फ़लत की नींद से बेदार हों , बुराइयों से बाज़ आएं और दूसरों को बाज़ रखें और दुनिया की रंगीनियों को छोड़कर आख़िरत की तैयारी करें ।*_


_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 16/17*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_

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