Wednesday, April 29, 2020



  _*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 09)*_
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_*📍मौत की सख्ती*_

_*💫ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला के हुक्म से मुर्दो को ज़िन्दा किया करते थे । कुछ काफ़िरों ने आप से कहा कि आप तो फौरन मरे हुए को ज़िन्दा कर दिया करते हैं , क्या पता वह न भी मरा हो , किसी पहले ज़माने के मुर्दे को ज़िन्दा करके दिखाओ । हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तुम खुद ही बताओ कि किस मुर्दे को ज़िन्दा करूँ , उन्होंने कहा कि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के बेटे साम को ज़िन्दा करके दिखाओ ।*_

                                     _*हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम उनकी कब्र पर तशरीफ़ लाए , आप ने दो रकअत नमाज़ पढ़ी और अल्लाह तआला से दुआ की , वह खुदा के हुक्म से ज़िन्दा हो गए । तो हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने देखा कि उनके सर और दाढ़ी के बाल सफ़ेद हो गए । आप ने फ़रमाया ऐ साम ! यह सफ़ेदी कैसी है ? यह आपके ज़माने में तो नहीं थी । उन्होंने कहा कि जब मैं ने आपकी आवाज़ सुनी तो मैं समझा कि शायद क़यामत काइम हो गई , क़यामत के ख़ौफ़ से मेरे सर और दाढ़ी के बाल सफ़ेद हो गए । हज़रत ईसा अलैहिसलाम ने फ़रमाया तुम्हें इन्तिकाल किए हुए कितने बरस हो गए ? वह बोले कि पूरे चार हज़ार बरस , और अब तक मौत की तल्खी और नज़अ के वक़्त की तकलीफ़ और बे - चैनी बाकी है ।*_

 _*(📕 दुर्रतुल वाइज़ीन )*_

_*✨ज़रा गौर करो कि नज़अ के वक़्त इन्सान को कितनी तकलीफ़ होती है कि चार हज़ार बरस का लम्बा अरसा गुज़र जाने के बाद भी नज़अ के वक़्त की तकलीफ़ और बेचैनी नहीं गई । फ़रमाने नबवी है “ अगर तुम्हारी तरह जानवर मौत को जान लेते तो उनमें कोई मोटा जानवर खाने को न मिलता " ।*_

_*(📕 कन्जुल उम्माल )*_

_*🌀यानी मौत का जितना इल्म इन्सान को है अगर उतना इल्म जानवरों को होता तो वह सब मौत के डर से सूख जाते और कोई मोटा जानवर खाने को न मिलता ।*_


_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 12/13/14*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_

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