_*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 04)*_
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_*✨मुहासबा -ए- नफ्स और अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारुके आजम रदि अल्लाहु तआला अन्हु*_
_*💫जब रात होती तो अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूके आज़म रदिअल्लाहु तआला अन्हु अपने कदमों पर चाबुक मारते और अपने नफ़्स से कहते तू ने आज क्या अमल किया ? ज़रा गौर कीजिए ! अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूके आज़म रदिअल्लाहु तआला अन्हु जिनको हयात ही में हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने जन्नत की खुशखबरी दे दी थी , वह अपने नफ़्स का किस तरह मुहासबा फ़रमा रहे हैं । और हम ख़ताकार सियाहकार इन्सनों का क्या हाल है ? रात व दिन गफ़लत में गुज़ार रहे हैं फिर भी अपने नफ़्स का मुहासबा नहीं करते ।*_
_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 6/7*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_
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