_*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 03)*_
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_*🌀अपने नफ्स का मुहासबा करना*_
_*💫इन्सान को चाहिए कि हर वक़्त अपने आमाल का मुहासबा करता रहे । अल्लाह तआला नफ़्स के मुहासबे का हुक्म देते हुए इरशाद फ़रमा रहा है :*_
_*📝तर्जमाः - ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरो और हर जान देखे कि कल के लिए क्या आगे भेजा और अल्लाह से डरो बेशक अल्लाह को तुम्हारे कामों की ख़बर है ।*_
_*✨इस आयत में इस बात की तरफ़ इशारा है कि इन्सान अपने गुज़िश्ता आमाल का मुहासबा करे । इसी लिए अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूके आज़म रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया कि “ इस से पहले कि तुम्हारा मुहासबा हो , तुम खुद अपना मुहासबा कर लो और इस से पहले कि तुम्हारे आमाल तोले जाएं तुम खुद अपने आमाल तोल लो " ।*_
_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 6*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_
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