_*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 01)*_
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_*🌏दुनिया की जिन्दगी का धोका*_
_*🌀अफ़सोस है उस शख्स पर जो चन्द दिनों की दुनिया की ज़िन्दगी के धोके में पड़ कर मौत की सख़्तियों , कब्र की तारीकियों और हिसाब व किताब को भूल जाए । अल्लाह तआला दुनिया के धोके से बचने के लिए लोगों को ख़बरदार करते हुए इरशाद फरमा रहा हैं :*_
_*📝तर्जमाः - ऐ लोगो ! बेशक अल्लाह का वादा सच है तो हरगिज़ तुम्हें धोका न दे दुनिया की ज़िन्दगी और हरगिज़ तुम्हें अल्लाह के हुक्म पर फरेब न दे वह बड़ा फरेबी ( यानी शैतान ) ।*_
_*(📕 पारा 22 , सूरा - ए फ़ातिर , आयत 5 )*_
_*🕋अल्लाह तआला ने इस आयत में बन्दों को ख़बरदार किया है कि अल्लाह तआला का वादा सच है , मरने के बाद जरूर उठना है और हर एक को अपने आमाल का हिसाब अल्लाह तआला की बारगाह में देना है , तो ऐसा न करना कि दुनिया की लज्जतों में मशगूल हो कर आख़िरत को भूल जाओ ।*_
_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 4*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_
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